पृष्ठ:महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली खंड 4.djvu/२१

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भाग : एक पेरू का प्राचीन सर्य मन्दिर पेरू का प्रजातन्त्र राज्य दक्षिणी अमेरिका में है। उसका विस्तार 5,02,760 वर्ग मील है। उसकी लम्बाई 1240 मील और चौड़ाई 70 से 600 मील तक है। पेरू में, सैकड़ों कोस तक, बालुकामय उजाड़ मैदान चले गये हैं, जहाँ न तो कोई पशु-पक्षी आदि जीव ही रह सकते हैं, और न घास का एक तिनका ही उग सकता है। बड़े-बड़े ज्वालामुखी पर्वत भी पेरू में कई एक है । वहाँ प्रायः कभी पानी नहीं बरसता। यदि वहाँ सोने और चांदी आदि बहुमूल्य धातुओं की खाने न होतीं तो कदाचित् ही सभ्य देशों के वासी वहाँ रह सकते । पेरू का प्रजा-सत्तात्मक स्वतन्त्र राज्य प्रशान्त महासागर से लगा हुआ है। उसकी राजधानी लीमा नगर है। अमेरिका को ढूंढ निकालने का सारा यश कोलम्बम ही को दिया जाता है। पन्द्रहवीं शताब्दी के अन्त में कोलम्बस ने अमेरिका का पता लगाया। परन्तु उसके पाँच- छ: सौ वर्ष पहले ही नारवे के रहने वाले नारवेजियन लोग अमेरिका गये थे और कई जगह बस गये थे। वहुत वर्षों तक उन्होंने अमेरिका के प्राचीन निवासियों के साथ व्यापार किया; परन्तु किसी कारण से, वे वहाँ से अपने देश को लौट गये और फिर वहाँ नहीं जा सके । इस विषय के अनेक प्रमाण मिले हैं; एक आध लेख भी पाये गये हैं। इसलिए कोलम्बस के पहले नारवेजियन लोगों का अमेरिका जाना निर्विवाद है। अमेरिका के प्राचीन निवासी प्रायः असभ्य और जंगली हैं। परन्तु पेरू के आदिम निवासी वैसे नहीं। वह सभ्यता का प्रचार बहुत पुराने समय से है। 158? ईसवी में, जब पहले-पहल स्पेन वाले पेरू में पहुँचे तब उन्होंने वहाँ ह्रना कपक नामक राजा को राज्य करते पाया । वह अपने वंश का बारहवाँ राजा था। उसकी राजधानी कज़को नगर में थी। उस समय पेरू में सभ्यता का बहुत कुछ प्रचार था। प्रजा से कर लिया जाता था; न्यायाधीश नियत थे; प्रजा की रक्षा के लिए सेना रक्खी गई थी, खेती खूब होती थी; मकान अच्छे-अच्छे थे; अस्त्र-शस्त्र और वस्त्र-आभूषण आदि भी काम में आते थे; पुस्तकें थीं; काव्य था; धर्म-शास्त्र था। सभ्यता के प्रायः सभी चिह्न थे। 1531 ईसवी में, स्पेन के पिजारो नामक सेनापति ने, ह्वेना कपक राजा पर विजय प्राप्त करके, उसकी राजधानी कजको अपने अधिकार में कर ली। तब से पेरू का प्राचीन राज्य नष्ट हो गया। पिज़ारो ने पेरूवालों को विद्या, बुद्धि, सभ्यता और कला-कौशल में अपने से बहुत बढ़कर पाया । उन लोगो ने पिज़ारो को सोने-चांदी के बहुमूल्य आभूषण और रेशम और ऊन के बहुमूल्य वस्त्र नज़र किये। Robe पेरू की सरहद में टीटी काका नामक एक बड़ी झील है। कहते हैं, कोई