पृष्ठ:महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली खंड 4.djvu/२१७

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फ़ारसी-कवि हाफ़िज़ /213 अनुवाद मुखी होय या जगत में कहत सयाने लोग। जेहि सँग प्रीतम को रहत बिन अंतर संयोग ।। (9) हाफ़िज़ चु दमे खुशस्त मजलिम । अस्बावे तरब तमाम दारद ।। अनुवाद हाफ़िज़ सो क्षण धन्य है कट जो प्रीतम संग। सव मुख साज मजे ग्हैं बाढ़े हिय उमंग ।। भावुक मुसलमानो का मत है कि इन सब पद्यो में प्यारे, प्राणप्यारे, प्रियतम आदि शब्द और संबोधन ईश्वर के लिये है । [मार्च, 1904 को 'सरस्वती' में प्रकाशित । 'प्राचीन पंडित और कवि' पुस्तक में संकलित ।