पृष्ठ:महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली खंड 4.djvu/२३१

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जान स्टुअर्ट मिल / 227 1 के प्रवेश-सम्बन्धी चुनाव में मिल ने उनकी मदद की थी। ऐसे घोर नास्तिक की मदद ! यह बात लोगों को बरदाश्त न हुई। इसी से उन्होंने दुबारा मिल को पारलियामेंट में नहीं भेजा । यह सुनकर कई जगह से मिल को निमन्त्रण आया कि तुम हमारी तरफ से पारलियामेंट की उम्मेदवारी करो। परन्तु ऐसे झगड़े का काम मिल को पसन्द न आया। इससे उसने उम्मेदवार होने से इनकार कर दिया। तब से उसने एकान्त-वास करने और पढ़ने ही लिखने में अपनी बाक़ी उम्र बिताने का निश्चय किया। वह अविगनान नामक गांव में जाकर रहने लगा। 1873 में वहीं उसकी मृत्यु हुई। उमका घर पुस्तकों और अख़बारों से भरा रहता था। साल में सिर्फ कुछ दिनों के लिए वह अविगनान से लन्दन आता था । जिस समय मिल की उम्र पचीस वर्ष की थी, उस समय टेलर नामक एक आदमी की स्त्री से उसकी जान-पहचान हुई। धीरे धीरे दोनों में परस्पर स्नेह हो गया। उसकी क्रम-क्रम से वृद्धि होती गई। इस कारण लोग मिल को भला-बुरा भी कहने लगे। उसके पिता को भी यह बात पमन्द न आई । परन्तु प्रेमप्रवाह में क्या शिक्षा, दीक्षा और उपदेश कहां ठहर सकते हैं ? बीस वर्ष तक यह स्नेह-सम्बन्ध अथवा मित्र-भाव रहा । इतने में टेलर माहब की मृत्यु हो गई। यह अवमर अच्छा हाथ आया देख ये दोनों प्रेमी विवाह बन्धन में बंध गये। परन्तु मिर्फ़ सात वर्ष तक मिल साहब को इस स्त्रो के ममागम का सुख मिला। इसके बाद उसका शरीर छूट गया। इस वियोग का मिल को बेहद रंज हुआ। अविगनान ही में मिल ने उसे दफ़न किया और जो बातें उसे अधिक पसन्द थीं, उन्हीं के करने में उसने अपनी बची हुई उम्र का बहुत सा भाग विताया। मिल के साथ विवाह होने के पहले ही इस स्त्री के एक कन्या थी। मां के मरने पर उसने मिल की बहुत सेवा-शुश्रूषा की । उमने मिल को गृह-सम्बन्धी कोई तकलीफ़ नहीं होने दी। मिल ने अनेक ग्रन्थ लिखे हैं। वह अकसर प्रसिद्ध प्रसिद्ध अख़बारों और मामिक पुस्तकों में लेख भी दिया करता था। छोटी छोटी पुस्तकें तो उमने कई लिखी हैं । पर उसके जिन ग्रन्थों की बहुत अधिक प्रसिद्धि है, वे ये हैं- 1-अर्थशास्त्र के अनिश्चित प्रश्नों पर निबन्ध (Essays on Unsettled Questions in Political Economy) 2-तर्कशास्त्र पद्धति (System of Logic) 3-अर्थ-शास्त्र (Political Economy) 4-Fateftaar (Liberty) 5-पारलियामेंट के सुधार-सम्बन्धी विचार (Thoughts on Parlia- mentary Reform) 6-प्रतिनिधि-सत्तात्मक राज्य-व्यवस्था (Representative Government) 7--स्त्रियों की पराधीनता (Subjection of women) 8-हैमिल्टन के तत्त्व-शास्त्र की परीक्षा (Examination of Hamilton's Philosophy) 9-उपयोगिता-तत्व (Utilitarianism)