पृष्ठ:महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली खंड 4.djvu/२५४

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250/ महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली गया। इसके कुछ दिन बाद, 1880 में, लार्ड रिपन ने अमीर से कहा कि यदि वह किसी बाहरी बादशाह से सम्बन्ध न करें और अंगरेजी गवर्नमेंट की सलाह से काम करें तो अंगरेज महाराज बाहरी शत्रुओं से उनकी हमेशा रक्षा करेंगे। अमीर अब्दुर्रहमान ने यह बान मंजूर कर ली। इससे गवर्नमेंट खुश हुई और, 1883 ईसवी में, लार्ड रिपन ने अमीर को दस लाख रुपये साल देना क़बूल किया। किसलिए? फ़ौज के ख़र्च और अफ़ग़ानिस्तान की उत्तर-पश्चिमी सीमा को खूब मजबूत करने के लिए। 1885 में लार्ड डफरिन ने एक दरबार किया । उसमें उन्होंने अमीर साहब को दस लाख रुपये नकद, 20,000 ब्रीच लेडिग बन्दूकें, तीन तोपखाने और बहुत सी गोली वारूद दी जाने की आज्ञा दी। इस उपलक्ष्य में अमीर ने अंगरेजों से मित्र-भाव रखने, मौक़ा पड़ने पर उनकी मदद करने और उत्तर-पश्चिमी सीमा को खूब मजबूत करने का वचन दृढ़ कर दिया। कुछ दिन बाद अमीर को इसके बदले बारह लाख रुपये साल मिलने लगे। पीछे से 12 के अठारह लाख हो गये। लड़ाई का सामान भी बाहर से मंगाने की आज्ञा उ.हे मिल गई। अमीर अब्दुर्रहमान ने अनेक सुधार किये । काबुल में कितने ही कारखाने खोले । एक सिलहखाना भी खोला । तोपें बनने लगी। नई तरह की रफलं तैयार होने लगी। फ़ौज को कवायद मिखलाई जाने लगी। किले बनने लगे। पुराने किलो की मरम्मत होने लगी । बाहर से हथियारो के ढेर के ढेर आने लगे। सारांश यह कि अभीर ने अफ़ग़ानिस्तान की दशा यथाशक्य खूब सुधार दी। फ़ौज बढ़ा दी । पहाडी मग्दागे और मुल्लाओं के पारस्परिक झगड़ो को बहुत कुछ दूर कर दिया । व्यापार की भी तरक्की की। देश में जो मर्वत्र लूट खसोट हुआ करती थी वह बन्द हुई। कानून की नई नई किताबें बनी । उन्होने अफगानिस्तान को बिलकुल ही नया कर डाला । यद्यपि अमीर के और अंगरेजी राज्य-प्रबन्ध में आकाश-पाताल का अन्तर है, तथापि डाक्टर हैमिल्टन का मत है कि आज कल का अफ़ग़ानिस्तान दोस्तमुहम्मद और शेरअली का अफ़ग़ानिस्तान नहो । अब वहाँ खूब शान्ति है । अब वहाँ अनेक ऐसे सुधार हो गये है जिनसे प्रजा के सुख की वृद्धि पहले की अपेक्षा बहुत कुछ अधिक हो गई है। अमीर अब्दुर्रहमान कठोर शामक थे। कठोरता की जरूरत भी थी। महाबर्बर अफ़ग़ान-जाति का सुधार कोमलता से होना असम्भव था। अतएव कठोर शासन-नीति के लिए अमीर दोपी नही ठहराये जा मकते । हैमिल्टन माहब बहुत वर्षों तक काबुल में अमीर के डाक्टर रह चुके है । अतएव उनकी राय को मब लोग मान्य समझते हैं। धीरे धीरे अब्दुर्रहमान ने अपने राज्य को खूब दृढ कर दिया। जैसे-जैसे आपकी शक्ति बढ़ती गई आपका दिमाग़ भी बढ़ता गया । इन्ही कारणों से, गवर्नर जनरल ने जव कुछ फ़ौजी मामान का अफ़ग़ानिस्तान में भेजा जाना रोक दिया, तव अमीर ने क्रोध में गवर्नमेट से 18 लाख रुपया लेने से इनकार कर दिया। यहाँ तक कि आपने सरहद में थोड़ी मी फ़ौज भी भेज दी । आपने गवर्नर जनरल की शिकायत की। शिकायत लिखकर आपने ठेठ विलायत में प्रधान मन्त्री, लार्ड सैलिस्बरों, के पास भेजी। 1890 और 1898 के बीच आप अंगरेजी गवर्नमेंट से बहुत नाखुश रहे । तीरा-युद्ध के -