पृष्ठ:महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली खंड 4.djvu/२५५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

अमीर हबीबुल्लाखा | 251 समय आपने गवर्नमेंट की मर्जी के खिलाफ़ काम किये । पीछे से मरने के पहले, आप कुछ शान्त हो गये थे। अब्दुर्रहमान के बाद हबीबुल्लाखां अमीर हुए। आपका जन्म ममरकन्द में, 1872 ई० में, हुआ था। आप फ़ारसी के सिवा थोड़ी अंगरेजी भी जानते है । अंगरंजी समझ अच्छी तरह सकते हैं; पर बोल कम । जब अँगरेजों से बातचीत करते है तब कभी फारमी और कभी अँगरेजी बोलने हैं। अमीर हबीबुल्ला स्वाधीन प्रकृति के शासक है । आपने अफ़ग़ानिस्तान का राज्य- सूत्र अपने हाथ में लेकर अंगरेज़-राज की अधीनता का ख़याल अपने दिल से थोड़ा बहुत दूर कर दिया । गवर्नमेंट ने आपको कई दफ़े हिन्दुस्तान आने के लिए आमन्त्रण दिया। पर आप आने से इनकार ही करते रहे । आपने एक बार भरे दरबार में कह दिया कि आप अपने पिता के विचारों का अनुसरण करेंगे; पर अब्दुर्रहमान पर अँगरेजी गवर्नमेंट ने जो उपकार किये हैं वे उन्ही के साथ गये। आपने अपने को मव तरह स्वाधीन ममझा और बाहर से लड़ाई का सामान मंगाने की स्वतन्त्रता का भी दावा किया । आखिरकार, 1904 में, गवर्नमेट को डेन साहब की अध्यक्षता में एक प्रतिनिधि-दल अफ़गानिस्तान भेजना पड़ा। उसका फल अमीर के लिए अच्छा ही हुआ। गवर्नमेंट से जो 18 लाख रुपया साल अमीर को मिलता था वह कई माल से अमीर ने नही लिया था। सब मिला- कर 60 लाख रूपया गवर्नमेंट को देना निकला। वह सब अमीर ने लिया। 18 लाख रुपया माल पूर्ववत् अमीर को देना गवर्नमेट ने मंजूर किया । तोप, बन्दूक, गोला, गोली आदि लड़ाई का मामान भी मनमाना मॅगाने के लिए अमीर के दावे को गवर्नमेंट ने कबूल किया । गवर्नमेंट ने अमीर हबीबुल्ला को स्वाधीन शासक भी माना। यह पिछली बात अमीर के लिए बड़े महत्त्व की हुई । इन बातो के बदले गवर्नमेंट को भी अमीर से कुछ मिलना था; पर अमीर ने कुछ न दिया। आपने अपने पुत्र इनायतुल्लाखां को लार्ड कर्जन से मिलने जरूर भेज दिया। बस, अमीर साहब ने गवर्नमेंट के पूर्वोक्त मत्कृत्यो का यही बदला दिया। गवर्नमेट को लाचार होकर इतने ही से मन्तोष करना पड़ा। गवर्नमेंट अमीर से कहती हैं कि बाहरी शत्रुओ से अफगानिस्तान की रक्षा का भार हमने ऊपर लिया है । इसलिए हमें काबुल और कन्धार तक रेल बनाने दो। तार भी बड़े बड़े शहरो तक ले जाने दो। अपनी फ़ौज मे अँगरेज़ अफ़सर रक्खो। यदि ये बाते न करोगे तो हम आपको उत्तरी सरहद की रक्षा कैसे कर सकेंगे? यदि रूस अफ़ग़ानिस्तान पर चढ़ाई करे तो बिना रेल; तार और अच्छी फ़ौज के, 500 मील दूर, हिन्दुस्तान से उसके मुक़ाबिले का कैसे प्रबन्ध हो सकता है ? इसलिए अमीर साहब के निज के प.ायदे ही के लिए, हिन्दुस्तान की गवर्नमेंट रेल, तार, आदि बनाने की आज्ञा मांगती है। अपने फ़ायदे के लिए नहीं । जिन अमीर हबीबुब्ला का अंगरेजी गवर्नमेंट इतना आदर करती है, जिनके देश को उत्तर-पश्चिमी सीमा की रक्षा का उसे इतना ख़याल है, वही, इस महीने; इस देश में, अंगरेज महाराज के मिहमान होकर आये हैं । बहुत कहने सुनने पर आपने भारत में पदार्पण किया है । आपकी मिहमानदारी का जी-जान होकर गवर्नमेंट प्रबन्ध कर रही