पृष्ठ:महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली खंड 4.djvu/२५७

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॥संदर्भ फ़ारस यानी ईरान । फारस के शाह मजफ्फरुद्दीन फारम में रूम की प्रभुता बढ़ने के चिह्न देखकर अंगरेजों का चित्त उस ओर आकर्षित हुआ है । रूस ने फारस को एक बार भारी शिकस्त देकर उमका बहुत-मा देश छीन लिया है । इस पर भी यदि फ़ारस रूस की ओर झुके नो आश्चर्य की बात है । पर अब मुक नही सकता । क्योंकि फारम विषयक राजनैतिक रहस्यों में इंगलैंड और रूम दोनो ने, मिलकर योग देने का आपस मे फैसला कर लिया है। फ़ारस की बाडी के किनारे जास्क, बन्दर अब्बाम और बू शहर आदि स्थानो में अंगरेजी प्रजा जाकर बस गई है और वहाँ व्यापार करती है। और और कारणों के सिवा यह भी एक कारण है जिमसे ब्रिटिश राज्य का प्रभुत्व इस खाडी मे बना रहना ही चाहिए। ऐसा न होने से और कोई शक्ति अपना दबदबा वहाँ जमा लेगी और जल-मार्ग से भारत के बहुत निकट आ जायगी । यह कदापि इप्ट नही । इसीलिए अँगरेज़ी प्रभुत्व की घोषणा देने को दिमम्बर 1973 मे लाई कर्ज़न इम खाड़ी के कई स्थानो मे पधारे थे । फारम बहुत पुराना राज्य है। वहाँ ईसा के कई सौ वर्ष पहले होने वाले बादशाहो तक का हाल इतिहास में पतेवार मिलता है। जिस समय ग्रीस ने योरप को अपनी विद्या और बल से चकिन किया था उस समय भी फ़ारम उन्नत था। उमसे कई बार ग्रीस की टक्कर हुई है । परन्तु थर्मापिली की घाटी में जब से ग्रीस वालों ने फारस की अनन्त सेना काट डाली तब से फारम का जोर कम हो गया। फारम ने इस देश पर भी कई बार कृपा की है। सबसे पहले दारा ने इस ओर प्रस्थान किया, परन्तु दूर तक वह इस देश मे प्रवेश न कर सका। नादिर ने जो हत्याकांड देहली मे किया और जो सम्पदा यहाँ से लूट ले गया वह तो अभी कल की बात है। तेहरान मे देहली का तख्ने- ताऊस इसकी गवाही दे रहा है । नये और पुराने फ़ारस के आकाश-पाताल का अन्तर है। पुराने फ़ारस का विस्तार बहुत अधिक था। वह अब कट उँटकर छोटा हो गया है। तिस पर भी उसका क्षेत्रफल प्रायः 6,10,000 वर्गमील और आबादी प्रायः 90,00,000 है। फ़ारस मे फ़ौज कुल 1,00,000 है; परन्तु शान्ति के समय केवल 24,000 रहती है। फ़ारस के पास जल-सेना बहुत ही कम है। सामरिक सामान से सजे हुए कुल दो या तीन जहाज़ और एक धुवाकश है। फ़ारस में और फल तो होते ही हैं; परन्तु अंगूर बेहद होता है। उसकी शराब बनती है। उसके लिए शीराज़ सबसे धिक मशहूर है। इस्फ़हान में भी उसका बड़ा व्यापार होता है । फ़ारस में कालीन बहुत अच्छे बनते हैं। किसी किसी का तो मत है कि वहां के कालीनों की बराबरी और कोई देश नही कर सकता। वे अद्वितीय और अनुपमेय होते हैं । खुरासान, फ़ग़ाना और किरमान के कालीन सबसे बढ़िया होते है।