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पृष्ठ:महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली खंड 4.djvu/२६

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22 / महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली -बिल्कुल भारतवर्ष की नकल हैं। मासी साहेब ने अपनी एक पुस्तक के परिशिष्ट में ऐसे 560 शब्द दिये हैं जो संस्कृत और मिश्री, दोनों भाषाओं में, ही व्यवहृत हैं। इन सब प्रमाणों से सिद्ध है कि प्राचीन काल में भारतवासी मिश्र में जाकर अवश्य आबाद हुए थे और इन्हीं से मिश्र वालों ने सभ्यता सीखी। ['पडित कमलाकर त्रिपाठी' नाम से सितम्बर, 1908 की 'सरस्वती' में प्रकाशित । 'अतीत-स्मति' में संकलित।