पृष्ठ:महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली खंड 4.djvu/२८२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

278 / महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली खूब है । आप अपने महल के आसपास खूब देखभाल रखते हैं; शहर में भी घूमते हैं; और राज्य में भी दौरा करते हैं। मैन्यलिक महाराज के पहले भी आपके नाम के एक हबशी राजेश्वर हो गये हैं। इसलिए आप 'दूसरे मैन्यलिक' कहलाते हैं। आपकी महारानी का नाम है टेटू । उनकी उम्र, इस समय कोई 50 वर्ष की होगी। उनका पहला विवाह हबशीराज थिओडर के एक सेनापति से हुआ था। उसके मरने पर आपने दो बार और भी विवाह किया। जब आग तीसरी दफ़ा विधवा हुई तब मन मे कुछ विराग-सा आ गया । इसलिए आप एक धर्म-मन्दिर में धर्माधिकारियों के साथ रहने चली गई। परन्तु वहाँ आपका जी नहीं लगा। इसलिए थोड़े ही दिनो में आप वहाँ से निकल भागी 1883 ईसवी में आपने मैन्यलिक महाराज को अपना पति बनाया। यह आपका पांचवां विवाह है। [दिसम्बर, 1908 को 'सरस्वती' में प्रकाशित । 'चरित्र-चित्रण' मे संकलित ।]