अमेरिका के सर्वश्रेष्ठ समाचार-पत्र-संचालक विलियम हार्ट / 281 और कोई पन्द्रह हजार संवाददाता। आपने अपने कारोबार में बेहद उन्नति की है। इसका अनुमान केवल इस बात से किया जा सकता है कि जिस न्यूयार्क जरनल को आपने साढ़े चार लाख रुपये में खरीदा था, इस समय उसकी लागत करीब ढाई करोड़ रुपये के . उद्देश और कार्य हार्ट साहब के अखबारों को अमेरिका के माधारण तथा नीची श्रेणी के लोग बहुत पसन्द करते हैं। क्योंकि उनमें उन्हीं के मतलब की बातें अर्थात् किस्से, चुटकुले, पंच, रहस्य-उद्घाटन और चौंका देने वाली खबरें अधिक रहती हैं । इसके सिवा सर्वसाधारण की दशा सुधारना, उन पर अत्याचार न होने देना, गरीबों को सताने वालों की खबर लेना और अदालत द्वारा उनको दण्ड दिलवाना आपके पत्रों का मुख्य उद्देश है । इसी कारण लक्ष लक्ष दरिद्र नर-नारी आपके पत्रों को खुशी से खरीदते, पढ़ते, उनसे मन बलाते और लाभ उठाते हैं। इन पत्रों का उन पर प्रभाव भी खूब पड़ता है। जैसा हार्ट साहब कहते हैं, पढ़ने वाले वैसा ही करते हैं । आपके पत्रों द्वारा अमेरिकन लोगो ने किस कदर और कहाँ तक राजनैतिक, सामाजिक, पारिवारिक, नैतिक और आर्थिक लाभ उठाया है, यदि इसका ब्योरेवार वृत्तान्त लिखा जाय तो एक ग्रन्थ तैयार हो सकता है । न मालूम कितने देश-द्रोही, समाज-द्रोही, दुष्ट और पापी जनों ने आपके पत्रो की बदौलत अपने कुकर्मों का कुफल चखा है । न मालूम कितने बार आपके पत्रों ने करोड़ों रुपयों की हानि से गवर्नमेंट और प्रजा को बचाया है। इसी तरह इनकी कृपा से न मालूम कितने निरपराधियों ने अकाल-मृत्यु के पंजे और जेल की यातना से मुक्ति पाई है । धन्य मिस्टर हार्ट ! धन्य तुम्हारी न्याय-प्रियता । हार्ट साहब के कर्मचारी अमेरिका में इस समय जो सबसे अधिक योग्य, विद्वान्, प्रतिभाशाली और कार्य्यदक्ष पत्र-सम्पादक हैं उनमें से अधिकांश आपके अधीन काम करते है । आपके पत्रों की उन्नति का यह भी एक कारण है। आप उन्हें तनख्वाह भी अच्छी देते है । इतनी अधिक तनख्वाह पाने वाले सम्पादक केवल अमेरिका ही नही, किन्तु किसी देश में न होंगे। आपका सबसे अधिक वेतन पाने वाला कर्मचारी डेढ लाख रुपये वार्षिक पाता है ! अर्थात् अमेरिका के प्रेसीडेंट की तनख्वाह के बराबर ! दूसरा आदमी एक लाख बीस हजार रुपये पाता है; तीसरा नब्बे हज़ार । तीन सहायक पछत्तर-पछत्तर हजार रुपये वार्षिक पाते हैं । यहाँ पर यह लिखे बिना नहीं रहा जाता कि हार्ट साहब के अधीन काम करने वाला एक सहकारी सम्पादक जितनी तनख्वाह (पछत्तर हज़ार) पाता है उतनी ही हमारी जन्मभूमि भारतवर्ष के कर्ता, धर्ता और विधाता भारत सचिव भी पाते है । अर्थात् तनख्वाह के लिहाज से इंगलैंड का एक राजमन्त्री और अमेरिका का एक सहकारी सम्पादक एक हैसियत रखता है । इससे पाठक अनुमान कर सकते हैं कि हमारे देश के पत्र-सम्पादकों की तरह अमेरिका के सम्पादक दीन, हीन और दरिद्र नहीं।
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