पृष्ठ:महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली खंड 4.djvu/३३३

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लार्ड किचनर - वीर जाति वही कहलाती है जिसमें मच्चे वीर पैदा होते हैं । धन्य है वह देश जिसमें पैदा होने वाले पुरुष रत्न अपनी जन्मभूमि के लिए अपने प्राणों को निछावर करने में जरा भी नहीं हिचकते। आज यूरप के इस महासंग्राम के ममय सारी दुनिया का चित्त अँगरेज़ जानि के उस वीर पुंगव की ओर आकृष्ट है जिसका नाम हमने ऊपर दिया है । इस वीर ने संसार की महाशक्तियों के हृत्पटल पर अपनी विजयिनी शक्ति का आतंक उत्पन्न कर दिया है। सारी ब्रिटिश जाति आज जयध्वनि के साय लार्ड किचनर का नाम बड़े गौरव से ले रही है । लार्ड किचनर ने जिस बुद्धिमत्ता और योग्यता से ब्रिटिश साम्राज्य का सैनिक बल बढ़ाया है नह सर्वथा स्तुत्य है। लार्ड किचनर मे स्वाभाविक वीरता है। अपनी प्रतिज्ञा का पालन वे खूब जानते हैं। लोगों का विश्वास है और वह सच्चा है कि लार्ड किचनर ने जब जब जब म्यान से अपनी तलवार खींची है तब तब उन्होंने शत्रु के पक्ष का पराभव किये बिना उसे म्यान में नहीं रक्खा । इसी से ब्रिटिश जाति ने आज उन्हें इस घोर महाभारत के समय अपना युद्ध-सचिव-अपना युद्ध-नेता-बनाया है । लार्ड किचनर जैसा सेनापति अपनी सेना को किस प्रकार संगठित और सुसज्जित कर सकता है इसका प्रत्यक्ष प्रमाण आज हमारे सामने है । आज भारत की अनगिनत सेना फ्रांस की रणभूमि मे जर्मनों के कलेजे चीर रही है । लार्ड किचनर ने भारत में आकर यहाँ की फ़ौज का जो सुधार किया, कमांडर चीफ़ होकर यहां जो काम किया, यह उसी का फल है । किचनर बड़े अच्छे सेनानायक तो है ही, वे शामनाधिकारियों और शासितो के माथ सद्व्यवहार करना भी खूब जानते हैं । कभी आपका कोई मुलाजिम या आपका अधीन अधिकारी आपसे नाराज़ नही हुआ। आप हर तरह से उन्हें प्रसन्न करने की चेष्टा करते है । लड़ाई पर और बाहर भी उनके आराम का आपको हमेशा ख़याल रहता है। केवल अपने सैनिको के साथ ही नही, किन्तु अफ़सरों के साथ भी आपका व्यवहार बहुत ही आत्मीय रहता है । सादगी की तो आप प्रत्यक्ष मूति है। मिथ में, अभी थोड़े ही दिन हुए, जब आप शासक थे तब हमेशा ही हर मनुष्य आपसे अपनी बातचीत करता और अपनी बात का उत्तर पाकर आपको धन्यवाद देता हुआ लौट जाता था। वहाँ के निवासी आप पर बड़ा विश्वास करते थे । गाँव के किसानों और देहाती आदमियो तक को उनके पक्षपातरहित न्याय का पक्का भरोसा था। एक समय की बात है कि एक बुड्ढा किसान बहुत रात को लार्ड किचनर के डेरे पर पहुंचा। वहाँ आकर उसने लार्ड किचनर से मिलना चाहा । किचनर ने उसी वक्त उसे अपने पास आने की आज्ञा दे दी। उसने जाकर सलाम किया। वह कहने लगा कि, मेरा खच्चर चोरी हो गया है। उसका अभी पता नहीं लगा । लार्ड किचनर ने उसी समय एक अफ़सर को बुलाया और उसके खच्चर को तुरंत