पृष्ठ:महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली खंड 4.djvu/३३४

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330/महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली ढूंढ देने की आज्ञा दी । अफ़सर ने तुरन्त जाकर खच्चर का पता लगाया और किसान उस पर बैठकर लार्ड किचनर को आसीसता हुआ अपने घर गया। यह बात मिश्रदेश भर में फैल गयी। इससे पता चल जाता है कि लार्ड किचनर मिश्र देश के सर्वसाधारण जनों में भी किस तरह सम्मानित और विश्वसनीय हो गये थे। भारत के सिपाही लार्ड किचनर को बड़ी सम्मान की दृष्टि से देखते हैं । लोग कहते हैं कि जो आदमी फौजी काम करने योग्य होता है वह विज्ञान और विद्या-सम्बन्धी काम नहीं कर सकता। पर लार्ड किचनर में यह वात नहीं है । आप जिस समय स्कूल में पढ़ते थे उस समय आप गणित में हमेशा अपनी कक्षा भर में प्रथम रहते थे । चाहे जमा हिसाब हो, आप बहुत जल्द लगा डालते थे। अध्यापक लोग आपकी इम योग्यता को देखकर दंग रह जाते थे। मिश्र देश में जो रेलवे लाइनें बन गई हैं । वे आप ही की कृपा का फल हैं । उनसे मिश्र वालों का बड़ा भारी उपकार होने लगा है। लार्ड किचनर अपना एक मिनट भी व्यर्थ नही खोते । समय को आप सदैव बहुमूल्य समझते हैं । जब आप पहले पहल बहुत कम उम्र में पैलेस्टाइन भेजे गये तब आपने बड़े परिश्रम और बड़े उत्साह से वहाँ का एक बड़ा सुन्दर नक़शा बनाया। यह नक़शा बड़े काम का निकला। इसके अतिरिक्त वहां रहकर सबसे बड़ा काम जो आपने किया वह यह था कि अरबी भाषा और उसकी लिपि को आपने सीख लिया । आप अरबी जैसी किठन भाषा में भी थोड़े ही दिनों के परिश्रम से खासे पण्डित हो गये । परिश्रमपूर्वक काम करना और एक भी मिनट व्यर्थ न जाने देना ही इसका कारण है। लार्ड किचनर अपनी धुन के बड़े पक्के हैं । जब वे काम करने बैठते हैं तब बिना उसे ख़तम किये नहीं उठते । वर्तमान युद्ध छिड़ने के समय लन्दन के युद्ध-सम्बन्धी (War Office) में दस दम बारह बारह घंटे जमकर आपने काम किया है। आपकी ऐसी कार्य- तत्परता देखकर आपके सहकारियों को भी आपके साथ बराबर काम करना पड़ता है । लार्ड किचनर मुप्रबन्ध करना भी खूब जानते है । आयरलैंड में आपके पिता ने कुछ भूमि खरीदी। उसे उन्होंने अच्छी तरह आबाद किया। वही घर भी उन्होंने बना लिया । पर वहाँ के भूस्वामी के बुरे बर्ताव के कारण उनका वह सारा परिश्रम व्यर्थ गया। यह दशा देखकर लाई किचनर ने, कुछ समय बाद, वहीं कुछ और भी भूमि खरीदी। उम भूमि को भी उन्होने आबद्ध किया और ऐसा अच्छा प्रबन्ध किया कि उमसे लाग्यो रूपये की आमदनी होती है । यह आपके सुप्रबन्ध का ही फल है । लाई किचनर ने किम तरह धीरे धीरे फ़ौज में उच्च पद प्राप्त किया और मिश्र देश तथा ट्रामवाल में कमी कैसी बहादुरी के काम किये, यह सब हाल पाठको ने समाचार- पत्रों में पढ़ा ही होगा। आप ही की बुद्धिमत्ता के प्रभाव से मिश्र देश और दक्षिणी अफ्रीका में ऐमा सुबन्ध हुआ कि अब वहाँ सब तरह अमन चैन है । अफ्रीका के सुधार के विषय में मबसे पहले लार्ड किचनर का ही नाम लिया जायगा । मूडान को द्वितीय वार आप ही ने जीता । मिश्र की सेना का सुधार आप ही ने किया और उसे अधिक शक्ति- शालिनी भी आप ही ने बनाया। भारतीय सेना का पुनर्वार संगठन भी आप ही ने किया।