पृष्ठ:महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली खंड 4.djvu/३४९

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विक्टर ह्य गो ह्य गो की गणना संसार के सार्वभौम कवियों मे है । उसकी रचना-शक्ति विलक्षण थी। उसने लगातार 50 वर्ष तक साहित्य-सेवा की। वह कवि था, नाटककार था और उपन्यास-लेखक भी योरप में उसके ग्रन्थों का बड़ा मान है। फ्रांस के बेसनकान (Basancon) नामक नगर में, 26 फ़रवरी 1802 को, ह्यू गो का जन्म हुआ। वह अपनी माता के द्वारा स्नेहपूर्वक प्रतिपालित हुआ। उसकी माता ने राजपक्ष ग्रहण करके नेपोलियन के एक सेनाध्यक्ष के साथ विवाह किया था । राजपक्ष के उत्थान और पतन पर इनका भाग्य अवलंबित था । ह्य गो ने अपने शैशव- काल में ही इसका अनुभव कर लिया था। बालक ह्य गो पर इसका पूरा प्रभाव पड़ा। यह उसके प्रारम्भिक ग्रन्थों में लक्षित होता है। बाल्य-काल में ही ह्यू गो की प्रतिभा का विकास होने लगा था। स्विनबर्न नामक एक लेखक ने उसके विषय में लिखा है-There was never a more brilliant boy than Victor Hugo. अर्थात् विक्टर ह्य गो से अधिक तीव्र-बुद्धि कोई भी अपने बाल्य-काल में नहीं हुआ। 16 वर्ष की अवस्था में उसने Bug Jargal नामक एक कथा लिखी । उसमें भावों की कोमलता और प्रवणता दोनों अच्छी तरह व्यक्त हुई हैं। दो साल बाद उसने 'हैन डी आइलैंड' (Han d' Island) की रचना की। इसके विषय में एक विद्वान् की राय है-No boyish work on record ever showed more singular force of hand, more brilliant variety of powerfufa ft के भी बाल्य-काल की रचना में क़लम की ऐसी कारीगरी और शक्ति-वैचित्र्य नही है । 1823 में एडले फ़ाउचर (Adele Foucher) नामक एक महिला के माथ उसका विवाह हुआ। शीघ्र ही उसके अन्य ग्रन्थ प्रकाशित हुए । उनसे उसकी बड़ी ख्याति हुई और फ्रांस के प्रतिभाशाली कवियो में उसकी गणना होने लगी। उसकी कविताओ का पहला संग्रह ले 'ओरियन्टेल'(Les Orientales) है। उसकी अक्षय कीत्ति को स्थापित करने के लिए यही एक ग्रन्थ पर्याप्त था। इसमें ओज है और माधुर्य भी है। इससे कवि का कला-कौशल और भाषा-नैपुण्य दोनों सूचित होते है। 1831 से 1840 तक उसके अन्य कई ग्रन्थ प्रकाशित हुए। सभी में उसकी विलक्षण शक्ति विद्यमान है। शेक्सपियर के बाद वियोगान्त नाट्य-काव्यों की रचना मे वह अद्वितीय है, यह सभी लोगों ने स्वीकार कर लिया है। ह्य गो के उन्नत हृदय का एक प्रमाण लीजिए। उसने एक नाटक लिखा था, 'मेरियन डी लाम' (Marion de Lorme)। इसमें सन्देह नहीं, वह एक उत्कृष्ट वियोगान्त नाटक था। उसमें राजा अपने मंत्री के वशीभूत बतलाया गया था। चार्ल्स दसवें के शासन-काल में इसी कारण उसका प्रचार बन्द करा दिया गया। चार्ल्स के बाद -