पृष्ठ:महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली खंड 4.djvu/३५६

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भाग : पाँच यमलोक का जीवन - उत्तरी ध्रुव की ओर; आज तक अनेक साहसी योरोपियन गये हैं । तत्सम्बन्धी ज्ञान प्राप्त करने के लिए बहुत चेष्टायें हुई हैं, और अब तक हो भी रही हैं । उस वर्ष डाक्टर नानसन उत्तरी ध्रुव में बहुत दूर तक निकल गये । वहाँ तक और कोई नहीं गया था। अपने भ्रमण का वृत्तान्त जो उन्होंने प्रकाशित किया है वह बहुत ही मनोरंजक है । उत्तरी ध्रुव की ओर तो बहुत लोगों का ध्यान था; परन्तु आज तक, दक्षिणी ध्रुव में सैर करने और उसकी व्यवस्था जानने का विचार दो ही एक आदमियों के मन में आया था। विद्या और सभ्यता की वृद्धि के साथ-साथ नई-नई बातें जानने, नये नये काम करने और नये-नये देशों का पता लगाने के लिये मनुष्यों की प्रवृत्ति सहज ही हो रही है। इसी प्रवृत्ति के वशीभूत होकर दो एक साहब दक्षिणी ध्रुव की तरफ कुछ दूर तक गये भी; परन्तु थोड़ी ही दूर जाकर उनको लौट आना पड़ा। लोगों का ख्याल था कि उत्तरी ध्रुव की जैसी दशा दक्षिणी ध्रुव की नहीं; वहां जानने के लिए कुछ विशेष बातें भी नहीं। परन्तु कुछ काल से किसी किसी को दूर तक दक्षिणी ध्रुव में जाने की उत्सुकता बहुत बढ़ गई । यहाँ तक कि कुछ जर्मन लोगों ने उस दिशा की ओर बड़े-बड़े जहाजों में प्रयाण भी किया । वे अभी तक वहीं हैं, उन्होंने दक्षिणी ध्रुव का बहुत कुछ ज्ञान प्राप्त किया है । उसके भ्रमण- वृत्तान्त के प्रकाशित होने पर वहां का विशेष हाल सुनने को मिलेगा। जर्मनी वालों की देखादेखी इंगलैंड से भी कुछ लोग दक्षिणी ध्रुव की ओर गये हैं। इन लोगों को इंगलैंड की रायल मोसायटी ने भेजा है। जो लोग गये हैं वे अभी तक लौटे नहीं। उनमें से डाक्टर शैकलटन बीमारी के कारण लौट आये है। उन्होंने लोगों के कौतूहल को निवारण करने के लिए इस चढ़ाई का संक्षिप्त वृत्तान्त प्रकाशित किया है। उन्हीं के वृत्तान्त के आधार पर इस दक्षिणी ध्रुव की चढ़ाई के सम्बन्ध में हम यह लेख लिख रहे हैं । पौराणिकों का मत है कि दक्षिण में यम का वास है; अथवा दक्षिण यम की दशा है । इसलिए उसे वे याम्य दिशा कहते है । जब दक्षिण याम्य दिशा हुई तब यमलोक भी उसी तरफ हुआ । यही कारण है जो हमने इस लेख का नाग 'यमलोक का जीवन' रक्खा इस चढ़ाई का प्रबन्ध रायल मोमायटी और गयल जियाग्राफिकल सोसाइटी ने किया । गवर्नमेंट ने भी 6,75,000 रुपया देकर इसकी सहायता की। इसके लिए 'डिस्कवरी' नाम का एक खास जहाज़ तैयार किया गया । कप्तान स्काट उसके अधिकारी म.दि. १०.4