पृष्ठ:महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली खंड 4.djvu/३८०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

उत्तरी ध्रव की यात्रा और वहाँ की स्कीमो जाति उत्तरी ध्रुव तक पहुंचने की कोशिश बहुत समय से हो रही है । पीरी, अमन्दमन और नानसन आदि कितने ही साहसी यात्री समय-समय पर उसका पता लगाने के लिये उस तरफ जा चुके हैं, पर अभी तक पूर्ण सफलता किसी को नही प्राप्त हुई। कुछ लोग बहुत दूर तक पहुँच गये हैं, कुछ थोड़ी ही दूर तक। उनके अनुभवों से पश्चाद्वर्ती यात्रियों ने विशेष लाभ उठाया है और आशा है कि अब कोई-न-कोई भाग्यवान् पुरुष ठेठ ध्रुव-प्रदेश में मेख गाड़े और वहाँ पर अपने देश का झण्डा उड़ाये बिना न रहेगा। मतत उद्योग करने से सफलता अवश्य ही मिलती है । अभी हाल में भी एक साहब ध्रुव पर चढ़ाई करने गये थे । पर सुनते हैं वीच ही में कहीं वे अटक रहे और बहुत दिन बाद वहाँ के बर्फ से छुटकारा पाने पर अब वे लौट रहे हैं। ध्रुव-प्रदेश के इन यात्रियों ने अपनी-अपनी यात्राओं का वर्णन लिखकर प्रकाशित किया है और उस प्रदेश में रहने वाली स्कीमो नामक मनुष्य-जाति के विषय में भी अनेक ज्ञातव्य बातें लिखी हैं । क्योंकि इन लोगों की सहायता के विना अन्य देशवासी ध्रुव-प्रदेश में अधिक दूर तक नहीं जा सकते । इन्हीं लोगों के वर्णनों के आधार पर नीचे हम उनरी ध्रुव की यात्रा और वहाँ के निवासियों के विषय में कुछ बातें लिखते हैं- पृथ्वी के उत्तरी छोर को उत्तरी ध्रुव कहते है। उसके आस-पौस ज़मीन बिल्कुल नहीं, चारों तरफ ममुद्र-ही-समुद्र है। पर उसमें प्रायः पानी नहीं । बहुत करके सर्वत्र जमी हुई बर्फ की राशियाँ-ही-राशियाँ हैं । यह बर्फ भी सब कहीं एक सी अर्थात् सम नहीं। कहीं वह सैकड़ों फुट ऊंची है और कहीं दो ही चार फुट । वहाँ खाद्य पदार्थ का कही पता नहीं; कोई चीज़ उत्पन्न ही नहीं होती। जो लोग ध्रुव प्रदेश की यात्रा करने जाते हैं, वे खाने-पीने का सारा सामान अपने साथ ले जाते हैं । ये गाड़ियाँ बर्फ पर फिमलती हुई चलती हैं। संमार के अन्य देशो की अपेक्षा ग्रीनलैंड नाम का टापू उत्तरी ध्रुव के अधिक पाम है। वहीं के कुत्ते इन गाड़ियो को खींचते या घसीटते हैं । भूमि छोड़ने पर कोई चार-पाँच सौ मील बर्फ पर ही चलना पड़ता है । बीच में यदि कहीं पानी मिल जाता है तो बड़ी दिक्कते उठानी पड़ती है। जब तक पानी जमकर कठोर बर्फ के रूप में नहीं हो जाता, तब तक उसे पैदल पार करना असम्भव हो जाता ध्रुव-प्रदेश में मरदी इतनी अधिक पड़ती है कि थर्मामीटर का पारा शून्य के नीचे 10 से 55 अंश (डिग्री) तक उतर जाता है। सरदी के कारण मिट्टी का तेल तक जम जाता है और शराब गाढ़ी हो जाती है। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि यात्री लोग सामुद्रिक पानी मिलने पर, उसके जम जाने की प्रतीक्षा नहीं करते । वे अपना माल- असवाब वहीं कही छोड़ देते हैं और तैरकर पानी को पार करते हैं। कहीं बर्फ की तह