पृष्ठ:महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली खंड 4.djvu/३९३

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विस्यूवियस के विषम स्फोट-2 / 389 साथ ही 'गड़ाम' की आवाज़ सुन पड़ी । बस फिर क्या था, प्रलय सी होने लगी । कलेजे को कैंपानेवाली महाविकराल गड़गड़ाहट शुरू हुई। आकाश-पाताल एक करने वाली विकट गर्जना को सुनकर लोग एकदम घबडा उठे । किवाड़ और खिड़कियाँ टूटने लगीं और यह मालूम होने लगा कि तोपो की बाढ़ पर बाढ दागी जा रही है। दूसरे दिन सवेरे सुन पड़ा कि विस्यूवियम के मुंह से निकली हुई तरल अग्निधारा ने कई गांव जला दिये । पर कुछ गांव वाले मरने से बच गये। वे धारा के पहुँचने के पहले ही भाग गये थे। विस्यूवियस के मुंह तक जो रेल बनी थी वह बिलकुल ही बरबाद हो गई । खाक और धुवाँ चारो तरफ़ छा गया। नेपल्स में दिन को रात हो गई। विस्यूवियस धुवे के भीतर घुस गया। उसका कोई भाग न दिखलाई देने लगा। तीन दिन तक यही दशा रही। कोई विशेष बात नहीं हुई। चौथे दिन बिजली की शक्ल की आग की लपटें विस्यूवियस के ऊपर उठने और कई सौ फुट आममान में घुसने लगी। पत्थर, राव और अग्निधारा ने अनेक गाँव और नगर उजाड़ दिये। अनन्त जीवों का नाश कर डाला। जब विस्यूवियस कुछ शान्त हुआ तब देखा तो हरी घास, हरी पत्ती, हरे पेड़, हरे पौधे एकदम ही नर हो गये थे । मब कही राख और धुर्वे का रंग व्याप्त था । आदमियों का रंग भी वैमा ही हो गया था। तब तक कुछ कुछ अँधेरा छाया हुआ था। उसी में लोग भूतो की शक्ल के बने हुए इधर उधर घूम रहे थे । नेपल्स के होटल खाली हो गये थे। लोग भागकर रोम चले गये थे। इटली के वादशाह और गजेश्वर एडवर्ड और उनकी महारानी विस्यूवियम देखने को पधारे। करोड़ों की धन सम्पत्ति जो इस स्फोट से नष्ट हुई है और जो हजारो आदमी मरे और बेघर द्वार के हो गये है उन पर दया करके दयाशील जन चन्दा कर रहे हैं । इटली के बादशाह ने बहुत कुछ मदद की है । एडवर्ड सप्तम ने भी कुछ दिया है। स्फोट के शुरू होने पर विलायती पत्रो में जो तार प्रकाशित हुए थे, उनका सक्षिप्त आशय देकर हम इस लेख को समाप्त करते हैं। 9 अप्रैल को नेपल्स से खबर आई कि विस्यूवियस का स्फोट फिर शुरू हुआ। आकाश में 450 फुट तक आग की ज्वाला उड रही है। हर भयंकर नाद के बाद पृथ्वी के पेट में गड़गड़ाहट होती है। आस पास की जमीन हिल रही है। गाँव और नगर जल रहे हैं। आदमी मारे डर के पागल की तरह भाग रहे है। भगोड़ो से नेपल्स भर गया है। कोई दो लाख आदमी बेघर-द्वार के होकर भाग आये है। राख बरस रही है। नेपल्स राख के भीतर घुसा जा रहा है। 9 तारीख को खबर आई कि रेत की वृष्टि के कारण बाहर निकलना कठिन हो गया है। कीचड़ की भी वर्षा हो रही है। इस से सड़को पर गाड़ियाँ नहीं चल सकतीं। आज आग के रूप में भूगर्भ की गली हुई चीजो की नदियां बहने लगी हैं। उन्होने अनेक सुन्दर सुन्दर वस्तुओं का समूल नाश कर दिया। विस्यूवियस के पास एक जगह जमीन फट गई । उससे आग की तरल धारा, 200 गज़ चौड़ी, बोसकोंटिकेसी नगर की तरफ बही। यह देख कर नगर वासियो ने जीने की आशा छोड़ दी। वे पागल से हो गये और जिस को जो मार्ग मिला उसी से वह भागा । सब लोग भागने न पाये थे कि वह अग्नि सरिता आ पहुंची और शहर के भीतर से होकर 1