पृष्ठ:महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली खंड 4.djvu/४०२

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भाग : छह पूर्वी अफरीका की कुछ जंगली जातियों अफ़रीका के पूर्व जंज़िबार या जंगबार नाम का एक टापू है। उससे थोड़ी दूर पर एक और छोटा-सा टापू है। उसका नाम है ममबासा। जैसे बंबई टापू था और अब स्थल में मिला लिया गया है, वैसे ही ममबासा भी पूर्वी अफ़रीका के भूमि-भाग में मिल गया है। उसका टापूपन, अर्थात् द्वीपत्व, जाता रहा है। ममबासा तथा उसके आसपास के प्रदेशों में पहले पोर्चुगीज़ों का आधिपत्य था; परन्तु, इस समय, वहां हमारे प्रभु अँगरेज़ो की प्रभुता है। उस भाग का नाम है-'ब्रिटिश ईस्ट अफ़रीका'। जहां ब्रिटिश पताका फहराई, वहाँ रेल पहुँची समझना चाहिए। अफ़रीका का पूर्वी भाग हाथ में आते ही गवर्नमेंट ने रेल चलाने का तत्काल ही प्रबंध किया। हिंदोस्तान से हजारों कुली और बाबू भेजे गए । अनंत धन खर्च करके और अनत कठिनाइयों को झेलकर, ममबासा से उगंडा तक रेल तैयार हुई और चलने भी लगी। उसका नाम हुआ-'उगंडा गवर्नमेंट रेलवे' । उसकी लंबाई कुल 686 मील है । वह छोटी पटरी की लाइन है और गगनचुंबी पर्वतों को काटकर बनाई गई है । छोटी-बड़ी अनेक नदियाँ और नाले भी लाँघने पड़े हैं। इस रेलवे के कर्मचारी प्रायः सभी इस देश के हैं। इनमें से एक सज्जन अच्छे पद पर हैं। समय-समय पर वे वहां की मनोरंजक बातें हमको लिखा करते हैं। उनकी कुछ चिट्ठियों का खुलामा हम यहाँ पर देते हैं- ब्रिटिश गवर्नमेंट की इस पूर्वी अफ़रीका में सबसे बड़ा शहर ममबासा है । यहाँ बंदरगाह भी है । पहले तो यह शहर कुछ न था; परंतु जब से रेल हुई, तब से इसकी बेहद तरक्क़ी हुई है। यहाँ अब सैकड़ों मोमिन, भाठिए, कच्छी, पारसी और माड़वाड़ी देख पड़ते हैं। अरब वाले तो यहाँ पहले ही अधिकता से थे; अब इनकी संख्या और भी बढ़ गई है। ये लोग बड़ा व्यापार करते हैं । व्यापार की यहाँ रोज़-वरोज़ तरक्की होती जाती है। कितने ही बड़े-बड़े अंगरेज व्यापारी भी यहाँ हैं । यहाँ फलों की अत्यंत अधिकता है। आम, जामुन, केला, नारियल, नीबू, नारंगी, अनन्नास और कटहल खूब होते हैं । आम और जामुन, यहाँ बारह महीने बना रहता है । इस देश में एक प्रकार का आम बहुत ही मीठा होता है । नौल में वह तीन पाव तक बैठता है और आकार उसका खरबूजे जैसा होता है। ममबामा के दम मील इधर-उधर आम और जामुन आदि के जंगल-के-जंगल खड़े हैं। चाहे उनसे जितने फल तोड़ लिए जायें, कोई रोकने वाला नहीं। फल देने वाले इन प्राकृतिक बागीचों के आगे बड़ा ही विकट जंगल है । यह जंगल पर्वतमय है। अनेक बड़ी-बड़ी नदियाँ भी इससे होकर बहती हैं । यह जंगल इतना घना