पृष्ठ:महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली खंड 4.djvu/४१७

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अफ़रीका के खर्वाकार जंगली मनुष्य | 413 में नथ थी। उमके छोटे-छोटे काले बालों में एक प्रकार का तेल लगा हुआ था। इससे उसका मुख-सौन्दर्य और भी बढ़ गया था। वह खूब शांत थी। वह जिस कार्य पर नियुक्त थी, उसको बड़े मनोयोग तथा अध्यवसाय के साथ करती थी। "ये बौने हजारों वर्ष से एक ही अवस्था में है। इसका कारण कदाचित् यह होगा कि ये सभ्य मनुष्यों के साथ नही मिलते जुलते । शिक्षा पाने पर ये लोग भी योरप और अमेरिका के निवासियों की तरह सभ्य हो सकते है । एक चालीम वर्ष की उम्रवाली स्त्री हमारे दल मे रहने से पाक-विद्या मे ऐमी निपुण हो गई थी कि योरप का कोई प्रथम श्रेणी का बावर्ची भी उसका मुक़ाबला न कर सकता था। वह बहुत मफ़ाई से रहती थी । साफ़ कपड़े पहनती और कोई भी वस्तु विना हाथ धोए न छूती थी। उसमें यदि कोई दोप था तो यह कि वह बड़ी वाचाल थी। वह अपनी जिह्वा को थोडी देर भी न रोक सकती थी । यह न समझिए कि वह कोई बुरी बात कहती थी; उसकी बाते बड़ी ही रहस्यपूर्ण होती थी। 'हमारे कैदियो में एक अठारह वर्ष का बालक भी था । वह बड़ा अल्पभाषी था। दिन-रात वह अपने काम ही में लगा रहता था। किसी से बातचीत न करता था । यदि कोई उससे प्रश्न करता, तो वह लज्जा के मारे मर-मा जाता था। कोई उस पर यदि अत्याचार भी करता, तो वह उसे चुपचाप सह लेता था। मतलब यह कि असभ्य बौने शिक्षा पाने पर थोड़े ही दिनो मे सभ्य हो सकते है। यद्यपि वे अपने व्यवहार की एक भी वस्तु नही बना सकने नथापि उनमें अन्य मनुष्यों तरह सज्ञानता ज़रूर है । ये लोग प्रेम करना और प्रेम का बदला लेना भी जानते है। ये बड़े ही साहसी तथा अध्यवसायी होते हैं । वन में सिह और बाघ से भी नही डरते और चतुरता में चिपैजी बंदर को भी इनसे हार माननी पड़ती है। हमे योग्प वालों के ऐसे बहुत से दृष्टांत मालूम हैं, जो जंगली भैंसों और हाथियो के द्वारा हत हुए हैं। पर ये क्षुद्र अमभ्य बौने इन भीषण जंतुओं को सहज ही मे मार डालते है । "बौने लोगो के गाँव बड़े-बड़े पेड़ो के नीचे होते हैं । हपने एक ऐसा गाँव देखा है। उममें छियानबे घर थे । वे छोटे घर बहुत ही साफ़ सुथरे थे। चलने-फिरने से बीच में जो रास्ता बन गया था वह पांच-छ: फुट से अधिक चौडा न था। जिस गाँव का रास्ता जितना ही अधिक चौड़ा होता है उसकी बस्ती उतनी ही अधिक होती है । घर के दोनो ओर दरवाजे होते है। दरवाजे तीन फुट से अधिक ऊँचे नही होते । आक्रमण के समय घर से बाहर भागने के लिए गुप्त द्वार भी होते है । गाँव के सब घर वृत्ताकार बने होते है। वृत्त के बीच में उनके राजा या सरदार का घर होता है । राजा की चौकसी रखना प्रत्येक बौने का मुख्य कर्तव्य है । घरो ऊँचाई चार फुट, लंबाई आठ-दस फुट और चौड़ाई छः-सात फुट होती है। पेड़ो के बड़े-बड़े पत्ते ही उत्तम बिछौने समझे जात (4 " सवेरा होने पर प्रायः सभी बौने भोजन की सामग्री एकत्र करने के लिये घर से बाहर निकलते है । पहले दिन के बनाए हुए जालो और गढ़ो को ढूँढ़ना ही उनका प्रथम कार्य होता है । घरो में जो लोग रह जाते है, वह गाँव की रखवाली करते हैं । -