जूलूलैंड (अफ़रीका) की असम्य जूली-जाति / 417 बात पक्की हो गई। इसके बाद लड़केवाला फिर एक बैल भेजता है । तव शादी का दिन नियत होता है । शादी के समय लड़की को तीन लौडियाँ, दम बैल और बहुत से कपड़े लड़के वाले की ओर दिए जाते है । इन लोगों का सामाजिक नियम बहुविवाह का बाधक नहीं है; पर यह बात आदमी की आर्थिक अवस्था पर अवलंबित है। तलाक की प्रथा भी इन लोगो में है । कितु इसके लिए पुरुष को स्त्री का और स्त्री को पुरुष का दोप दिखाना पड़ता है। जूलू लोग अपने पूर्व पुरुषो की पूजा करते है । उनका विश्वास है कि मरे हुए आदमियों की आत्माएँ अन्यत्र ठीक उसी तरह निवास करती हैं, जैसे वे यहाँ रहते थे और आगधना द्वारा वे बुलाई जा सकती है। मंत्र-तत्र पर भी उन लोगों को पूरा विश्वास है । कोई शारीरिक कष्ट होने पर वे प्राय. उसे प्रेत-बाधा समझते हैं। उनके चिकित्मक ही प्राय. प्रेत-निवारण किया करते है। ये चिकित्मक बड़ी-बड़ी करामाते दिखाने का दावा करते है । ये कहते है कि चिकित्मक जब चाहे पानी बरसा सकते है और आँधी, तूफान आदि को भी अपने मंत्र के बल से रोक सकते हैं । डाइन और ओझा लोगो से ये लोग बहुत डरते है। जूलू लोगो में सुन्नत का रिवाज है। किंतु मुसलमानी धर्म की और बातें इनमे नहीं। इम ममय ईसाई धर्म का प्रभाव इन लोगो पर खूब पड़ रहा है। कुछ लोग ईसाई हो भी गए है । जिन लोगों ने यह धर्म स्वीकार कर लिया है, उनके मामाजिक नियम भी बहुत बदल गए है । जूलू लोग मर्दे को नही जलाते । ये उन्हें गाड़ देते है । प्राय: ओझा लोग अपनी तात्रिक क्रिया सिद्ध करने के लिए मर्दो को उम्बाड लिया करते है । इससे अमीर जूलू लोग अपने संबधियो की क़ब्रो पर बरसों दिन-रात पहरा बिठाए रहते है। शिकार, खेती और पशु-पालन ही जूलू लोगों की प्रधान आजीविका है । ये लोग लोहा, पीतल आदि गलाकर मामूली हथियार बनाना जानते हैं । जूलू लोग बड़े बहादुर और युद्ध विद्या में निपुण होते है। ये लोग पैदल ही युद्ध करते हैं। तीर, कमान, भाला, ढाल, तलवार, गदा आदि इनके मुख्य अस्त्र-शस्त्र है । ये कभी-कभी दूसरे प्रदेशो पर भी आक्रमण करते है। कोई अस्सी वर्ष पहले इन लोगों ने रोगिया, जॉबेजी, न्यासालैंड तथा जर्मनीवालो के पूर्व अफ़रीका आदि प्रदेशो का अधिकार करके वहाँ अपनी भाषा का प्रचार किया था। कुछ जूलू सरदारों ने एक दफ़े आधे अफ़रीका को तबाह कर दिया था। इनके सरदार डेनी जूलू का नाम पाठको ने अखबारों में पढ़ा होगा। अभी कुछ ही समय हुआ उसने बग़ावत करके अँगरेज़ी गवर्नमेट को तंग किया था। पर अत मे वह पकड़ा गया और उसे सजा हुई। जूलू लोगों ने अपनी सामाजिक और राजनैतिक अवस्था में बहुत उन्नति की है। प्रायः सब असभ्य जातियो में 'वीरभोग्या वसुन्धरा' की प्रथा ही प्रचलित है । परतु जूलू लोगो ने राजा वंश-परंपरा के अनुसार ही होते है। इनके यहाँ फ़ौजदारी और ।
पृष्ठ:महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली खंड 4.djvu/४२१
दिखावट