पृष्ठ:महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली खंड 4.djvu/४२२

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418 / महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली दीवानी दोनों तरह के क़ानून हैं। पर वे लिपिबद्ध नहीं। वहां कानून जाननेवालों की एक श्रेणी है । उस श्रेणी के लोग परंपरा से बराबर कानूनी विषयों ही की चर्चा करते आते हैं । वे इस काम के सिवा और कुछ नहीं करते । वहाँ खुली अदालतों में न्याय होता है और सबको बोलने की स्वतंत्रता दी गई है। [मई, 1911 की 'सरस्वती' में प्रकाशित। 'वैचित्र्य-चित्रण' पुस्तक में संकलित।