पृष्ठ:महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली खंड 4.djvu/४७०

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466 / महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली - (1) जून 23 तारीख को प्रजा-प्रतिनिधि सभा ने खुल्लमखुल्ला सरकार से यह कह दिया कि जब तक हम इस स्थान से ज़बरदस्ती न निकाल दिये जायेंगे तब तक हम यहाँ से हटने वाले नहीं । इस धमकी का यह फल हुआ कि राजा और सब बड़े बड़े लोग डर गये तथा उस सभा में शामिल हो गये । परन्तु वे सच्चे दिल से शामिल न थे। वे गुप्त रीति से युद्ध की तैयारी कर रहे थे। (2) जब यह बात प्रकट हो गई तब जुलाई की 14वीं तारीख को पेरिस राजधानी के निवासियों ने बस्टाइल नामक किले पर हमला किया। इस शहर में हजारो ग़रीब आदमी ऐसे थे जो बहुत दिनों से, राज्य के कुप्रबन्ध के कारण, दुख भोग रहे थे । उन लोगों ने देखा कि राजा हक़दार वर्गों का पक्षपात करके प्रजा के प्रतिनिधियों से विरोध करने का यत्ल कर रहा है। यह बात उन्हें अच्छी न लगी। पांच छ: घंटे तक ये लोग किले को घेरे रहे । अन्त में किलेदार हार गया; किले की दीवारें तोड़ दी गईं; और वहाँ के कैदी छोड़ दिये गये । राजा डर गया । उसने प्रजा-प्रतिनिधि- सभा से सन्धि कर ली और यह प्रतिज्ञा की कि मैं इस सभा के साथ कभी लड़ाई न करूँगा। सभा सन्तुष्ट हो गई । उसने राष्ट्रीय सेना की सहायता से पेरिस का बलवा शान्त किया । इम पर बहुतेरे हक़दार लोग राजा से अप्रसन्न हो गये और देश के बाहर चले गये। कुछ लोगों ने अपने प्राचीन हक़ छोड़ दिये । इस प्रकार प्रजा की पूरी जीत हुई। (3) अगस्त की चौथी तारीख को फ्रांस के राज्य-प्रबन्ध की प्राचीन प्रणाली नष्ट कर दी गई। बड़े बड़े मरदारों, जमींदारों, ईमों और धर्माधिकारियों के मारे हक छिन गये और राजमना भी नियमित कर दी गई । यह राज्य-परिवर्तन गजा को पसन्द न आया। जब उसने प्रजा के कामों की मंजूरी न दी तब गष्ट्रीय सभा ने निश्चय किया कि राजा की मंजूरी की कोई आवश्यकता ही नही । (4) राजा वरमेलीस में अपने महल में रहता था और वही प्रजा-प्रतिनिधि- मभा भी थी। जब पेरिस में यह समाचार फैला कि प्रजा की सभा की बातें राजा मजूर नहीं करता, किन्तु वह और उसके सरदार ऐश व आराम में मस्त है, तब उन लोगों ने फिर बलवा किया । हजारो स्त्री-पुरुषो के झुड के झुंड राजमहल में जा पहुंचे। राजा बलवाइयों से घिर गया। रानी अपना महल छोड़कर राजा के पास भाग गई। गष्ट्रीय सेना भी वहीं थी। उमने गजा और रानी को पेरिम जाने की सलाह दी। तब प्रजा के प्रतिनिधियों के माथ, राष्ट्रीय सेना की सहायता से, राजा और रानी पेरिस पहुँचे । इस समय, राजा, यथार्थ में, राष्ट्रीय सेना का कैदी हो गया। इस प्रकार राज्यक्रान्ति का आरम्भ होकर गष्ट्रीय मभा की जीत हुई । 1. Cf.--"If you have orders to remove us from this Hall, you must also get authority to use force, for we shall yield to nothing but bayonets." -'The French Revolution', p. 28