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पृष्ठ:मानसरोवर भाग 3.djvu/२९०

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सत्याग्रह हाय मारने । यहाँ तक कि एक पल भर में आधा दोना समाप्त हो गया। सेठ लोग माकर फाटक पर खड़े थे। मन्त्री ने जाकर कहा-जरा चलकर तमाशा देखिए। भाप लोगों को न बाजार खोलना पड़ेगा, न खुशामद करनी पड़ेगी। मैंने सारो सम- स्याएं हल कर दो। यह कांग्रेस का प्रताप है। चांदनी छिटकी हुई थी। लोगों ने आकर देखा, पण्डितजी मिठाई ठिकाने लगाने में वैसे ही तन्मय हो रहे हैं, जैसे कोई महात्मा समाधि में मग्न हो। मोडमल ने कहा-पण्डितजो के चरण छूता हूँ। हम लोग तो आ हो रहे थे, मापने क्यों जल्दी को ? ऐसो जुगुत बताते कि आपको प्रतिज्ञा भी न टूटतो, और कार्य भी सिद्ध हो जाता। मोटेराम-मेरा काम सिद्ध हो गया। यह अलौकिक आनन्द है, जो धन के ढेरों से नहीं प्राप्त हो सकता । मगर कुछ श्रद्धा हो, तो इसो दुकान की इतनी हो मिठाई और मैंगवा दो।

  • हम यह कहना भूल गये कि मन्त्रीजी को मिठाई लेकर मैदान में भाते समय

धुलोस के सिपाही को ।) पैसे देने पड़े थे। यह नियम विरुद्ध पा; लेकिन मन्त्रोमो ने इस बात पर भड़ना उचित न समझा। लेखक