पृष्ठ:मानसरोवर भाग 4.djvu/१६४

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मृतक भोज. खराब है | रुपये किसी से उधार नहीं मिल सकते। बाल-बच्चों के भाग में लिखा होगा, तो भगवान और किसी हीले से देगा। हीले रोजी, बहाने मौत। बाल बच्चों की चिंता मत कर। भगवान जिसको जन्म देते हैं, उसकी जीविका की जुगत पहले ही से कर देते हैं। हम तुझे समझाकर हार गये। अगर तू अब भी अपनी हठ न छोड़ेगी, तो हम बात भी न पूछेगे। फिर यहाँ तेरा रहना मुश्किल हो जायगा । शहरवाले तेरे पीछे पड़ जायेगे। विधवा सुशीला अब और क्या करती। पचों से लड़कर वह कैसे रह सकती थी। पानी में रहकर मगर से कौन बैर कर सकता है । घर मे जाने के लिए उठी पर वहीं मूर्छित होकर गिर पड़ी। अभी तक आशा सँभाले हुई थी। बच्चों के पालन-पोषण मे वह अपना वैधव्य भूल सकती थी , पर अब तो अधकार था, चारों ओर । ( ३ ) सेठ रामनाथ के मित्रों का उनके घर पर पूरा अधिकार था। मित्रों का अधिकार न हो तो किसका हो । स्त्री कौन होती है। जब वह इतनी मोटी-सी बात नहीं समझती कि बिरादरी करना और धूम-धाम से दिल खोलकर करना लाजिमी बात है, तो उससे और कुछ कहना व्यर्थ है। गहने कौन खर,दे ? भीमचद चार हज़ार दाम लगा चुके थे , लेकिन अब उन्हें मालूम हुआ कि उनसे भूल हुई थी। दुर्बलदास ने तीन हजार लगाये थे। इसलिए सौदा उन्हीं के हाथ हुआ। इस बात पर दुर्बलदास और भीमचद मे तकरार भी हो गई , लेकिन भीमचद को मुंह की खानी पड़ी। न्याय दुर्बल के पक्ष मे था। धनीराम ने कटाक्ष किया--देखो दुर्बलदास, माल तो ले जाते हो ; पर तीन हज़ार से बेसी की है। मैं नीति का हत्या न होने दूंगा। कुबेरदास बोले-अजी तो घर में ही तो है, कहीं बाहर तो नहीं गया। एक दिन मित्रों की दावत हो जायगी। इस पर चारों महानुभाव हँसे । इस काम से फुरसत पाकर अब मकान का प्रश्न उठा । कुबेरदास ३० हजार देने पर तैयार थे, पर कानूनी कार्रवाई किये बिना सदेह की गुजाइश थी। यह गुजाहश क्योंकर रखी जाय । एक , 8