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मन्दिर e 07 के मुंह की ओर देखा । मुंह से निकला-हाय मेरे लाल ! फिर वहे सूच्छित होकर गिर पड़ी। प्राण निकल गये । बच्चे के लिए प्राण दे दिये। माता, तू धन्य है । तुम जैसी निष्ठा, तुझा जैसी श्रद्धा, तुझ जैसा विश्वास देव- ताओं को भी दुर्लभ है!