पृष्ठ:मानसरोवर भाग 5.djvu/२१२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

२०८ मानसरोवर 2" "केशव ऐसा आदमी नहीं है, जो किसी को धोखा दे। क्या तुम केशव को जानती हो?" "केशव ने तुमसे अपने विषय में सब कुछ कह दिया है 'सव कुछ। "कोई बात नहीं छिपाई ?" "मेरा तो यही विचार है कि उन्होंने एक बात भी नहीं छिपाई।" "तुम्हें मालूम है कि उसका विवाह हो चुका है ?" युवती को मुख-ज्योति कुछ मलिन पड़ गई, उसको गरदन लज्जा से झुक गई। अटक-अटककर बोली-हाँ, उन्होंने मुझसे .. यह बात कही थी। सुभद्रा परास्त हो गई। घृणा-सूचक नेत्रों से देखती हुई बोली-यह जानते हुए भी तुम केशव से विवाह करने पर तैयार हो ? युवती ने अभिमान से देखकर कहा-तुमने केशव को देखा है ? "नहीं, मैंने उन्हें कभी नहीं देखा।" "फिर तुम उन्हें कैसे जानती हो ?" "मेरे एक मित्र ने मुझसे यह बात कही है, वह केशव को जानता है।" "अगर तुम एक बार केशव को देख लेती, एक वार उनसे बातें कर लेतीं, तो मुझसे यह प्रश्न न करतीं। एक नहीं, अगर उन्होंने एक सौ विवाह किये होते, तो भी मैं इनकार न करतो ।। उन्हे देखकर मैं अपने को बिलकुल भूल जाती हूँ। अगर उनसे विवाह न करूँ, तो फिर मुझे जीवन-भर अविवाहित ही रहना पड़ेगा। जिस समय वह मुझसे बातें करने लगते हैं, मुझे ऐसा अनुभव होता है कि मेरी आत्मा पुष्प की भांति खिली जा रही है। मैं उसमें प्रकाश और विकास का प्रत्यक्ष अनुभव करती हूँ। दुनिया चाहे जितना हॅसे, चाहे जितनी निंदा करे, मैं केशव को अब नहीं छोड़ सकती। उनका विवाह हो चुका है, यह सत्य है , पर उस स्त्री से उनका मन कभी नहीं मिला। यथार्थ में उनका विवाह अभी नहीं हुआ। वह कोई साधारण, अर्द्धशिक्षिता वालिका है। तुम्हीं सोचो, केशव-जैसा विद्वान् , उदारचेता, मनस्वी पुरुष ऐसी बालिका के साथ कैसे प्रसन्न रह सकता है ? तुम्हें कल मेरे विवाह में चलना पड़ेगा।" सुभद्रा का चेहरा तमतमाया जा रहा था। केशव ने उसे इतने काले रगों में 2