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पृष्ठ:मानसरोवर भाग 5.djvu/२६५

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ममता २६१ . रामरक्षा-वह कबके उड़ गये। सेठ ~जब यह हाल था, तो आपको उचित नहीं था कि मेरे गले पर छुरी फेरते ? रामरक्षा-(अभिमान से ) मैं आपके यहाँ उपदेश सुनने के लिए नहीं आया हूँ। यह कहकर मिस्टर रामरक्षा वहाँ से चल दिये। सेठजी ने तुरन्त नालिश कर दो । वीस हजार म्ल, पाँच हजार ब्याज । डिगरी हो गई । मकान नीलाम पर चढ़ा । पन्द्रह हजार की जायदाद पाँच हजार में निकल गई । दस हजार की मोटर चार हजार मे विकी । सारी सम्पत्ति उड़ जाने पर कुल मिलाकर सोलह हजार से अधिक रकम न खड़ी हो सको। सारी गृहस्थी नष्ट हो गई, तब भी दस हजार के ऋणी रह गये । मान-वहाई, धन-दौलत सब मिट्टी में मिल गये। बहुत तेज दौड़नेवाला मनुष्य प्राय मुंह के वल गिर पड़ता है। (४) इस घटना के कुछ दिनों पश्चात् दिल्ली म्युनिसिलिटी के मेम्वरों का चुनाव आरम्भ हुआ। इस पद के अभिलाषो वोटरों को पूजाएँ करने लगे । दलालों के भाग्य उदय हुए । सम्मतियों मोतियों को तोल बिकने लगीं। उम्मेदवार मेम्वरों के सहायक अपने-अपने मुवक्किल के गुणगान करने लगे। चारों ओर चहल-पहल मच गई। एक वकील महाशय ने भरी सभा में मुवक्किल साहब के विषय में कहा- मैं जिस वुजुरुग का पैरोकार हूँ वह कोई मामूली आदमी नहीं है। यह वह शख्स है जिसने फ़ाजन्द अकवा को शादी में पचीस हजार रुपया सिर्फ रक्स व सरूर में सर्फ कर दिया था। उपस्थित जनों में प्रशसा की उच्च धनि हुई । एक दूसरे महाशय ने अपने मुहाल के वोटरों के सम्मुख मुवक्किल की प्रशसा यों की- मैं यह नहीं कह सकता कि आप सेठ गिरधारीलाल को अपना मेम्बर बनाइए । आप अपना भला-बुरा स्वय समझते हैं, और यह भी नहीं कि सेठजी मेरे द्वारा अपनी प्रशसा के भूखे हों। मेरा निवेदन केवल यही है कि आप जिसे मेम्बर बनायें, पहले उसके गुण-दोपों का भली भांति परिचय ले लें। दिल्ली में केवल एक मनुष्य है जो गत १० वर्षों से आपकी सेवा कर रहा है। केवल एक आदमी है कि जिसने पानी पहुंचाने और स्वच्छता-प्रबन्धो में हार्दिक धर्म-भाव से सहायता दी है। केवल एक पुरुष है,