पृष्ठ:मानसरोवर भाग 5.djvu/२७३

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ममता २६९ दूकान के मैनेजर हैं। केवल मैनेजर ही नहीं, किन्तु उन्हें मैनेजिग प्रोप्राइटर समझना चाहिए। दिल्ली दरबार में सेठजी को भो रायबहादुर का पद मिला है। आज डिस्ट्रिक्ट मैजिस्ट्रेट नियमानुसार इसकी घोषणा करेंगे और नगर के माननीय' पुरुषों की ओर से सेठजी को धन्यवाद देने के लिए यह बैठक हुई है। सेठजी की ओर से धन्यवाद का वक्तव्य मिस्टर रामरक्षा करेंगे। जिन लोगों ने उन्की वक्तृताएँ सुनी हैं, वे बहुत उत्सुकता से उस अवसर की प्रतीक्षा कर रहे हैं। वैठक समाप्त होने पर सेठजी रामरक्षा के साथ अपने भवन पर पहुंचे तो मलूमर हुआ कि आज वही वृद्धा स्त्री उनसे फिर मिलने आई है। सेठजी दौड़कर रामरक्षा की मां के चरणों से लिपट गये । उनका हृदय इस समय नदी की भाँति उमड़ा हुआ था। 'रामरक्षा ऐण्ड फ्रेंड्स' नामक चोनी बनाने का कारखाना बहुत उन्नति पर है। रामरक्षा अब भी उसी ठाट-बाट से जीवन व्यतीत कर रहे हैं, किन्तु पार्टियाँ कम देते हैं और दिनभर में तीन से अधिक सूट नहीं बदलते । वे अब उस पत्र को जो उनकी स्त्री ने सेठजी को लिखा था, ससार की एक बहुत अमूल्य वस्तु समझते हैं औ मिसेज़ रामरक्षा को भी अब सेठजी के नाम मिटाने की अधिक चाह नहीं है। क्योंकि अभी हाल में जब लड़का पैदा हुआ था, तो मिसेज़ रामरक्षा ने अपना सुवर्ण ककण धाय को उपहार दिया और मनों मिठाई बांटी थी। यह सब हो गया, किन्तु वह वात जो अव होनी चाहिए थी, वह न हुई । रामरक्षा की मा अब भी अयोध्या रहती हैं और अपनी पुत्रवधू की सूरत नहीं देखना चाहतो। ।