सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:मानसरोवर भाग 6.djvu/१९९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

२२४ मानसरोवर चन्दूमल-जी हाँ, खूब मालूम हो गया। प्रधान-आपकी शहादत तो अवश्य ही होगी। चन्दूमल-होगी तो मैं भी साफ़ साफ कह दूंगा, चाहे बने या बिगड़े । पुलिस की सख्ती अब नहीं देखी जाती । मैं भी भ्रम में पड़ा हुआ था । मत्री-पुलिसवाले आपको दवायेंगे बहुत । चन्दूमल-एक नहीं, सौ दबाव पड़े, मैं झूठ कभी न बोलूंगा। सरकार उस दरबार में साथ न जायगी। मत्री--अब तो हमारी लाज आपके हाथ है। चन्दुमल--मुझे आप देश का द्रोही न पायेंगे। यहाँ से प्रधान ओर मत्री तथा अन्य पदाधिकारी चले तो मत्रीजी ने कहा-आदमी सच्चा जान पड़ता है । प्रधान-( सदिग्धभाव से ) कल तक आप ही सिद्ध हो जायगा। ( ३ ) शाम को इन्सपेक्टर-पुलिस ने लाला चन्दूमल को थाने में बुलाया और कहा-आपको शहादत देनी होगी । हम अापकी तरफ़ से वेफिक्र हैं। चन्दूमल बोले-हाजिर हूँ। इन्स०--वालटियरों ने कान्स्टेबिलों को गालियाँ दी ? चन्दू०-मैंने नहीं सुनी। इन्स०- सुनी या नहीं सुनी, यह बहस नहीं है । आपको यह कहना होगा वह सब खरीदारों को धक्के देकर हटाते थे, हाथा-पाई करते थे, मारने की धमकी देते थे, ये सभा बातें कहनी होगी । दरोगाजी, वह बयान लाइए जो मैंने सेठजी के लिए लिखवाया है। चन्द्०--मुझसे भरी अदालत में झूठ न बोला जायगा। अपने हजारों जाननेवाले श्रदालत में होगे । किस-किससे मुँह छिपाऊँ ? कहीं निकलने की जगह भी चाहिए? इन्स०--यह सब बातें निज के मुआमलों के लिए हैं। पोलिटिकल मुश्रा- मलो में झूठ सच, शर्म और हया, किसी का भी खयाल नहीं किया जाता । चन्दू०--मुँह में कालिख लग जायगी ।