सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:मानसरोवर भाग 6.djvu/२६४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

दुराशा २८७ आनन्द के सामने शून्य है जो भाई साहब के विचार परिवर्तन से हुआ है। आज एक दियासलाई ने जो शिक्षा प्रदान की है वह लाखों प्रमाणिक प्रमाणों से भी सम्भव नहीं है । इसके लिए मैं आपको सहर्ष धन्यवाद देता हूँ। अबसे पन्धुवर परदे के पक्षपाती न होंगे, यह मेरा अटल विश्वास है । (पटाक्षेप)