पृष्ठ:मानसिक शक्ति.djvu/१४

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मानसिक शक्ति।
 

शक्ति छिपी हुई है। एक दिन एक व्यक्ति ने, जो अपने मित्रों से शान में कुछ बढ़ा चढ़ा था, यह देखा कि उसमें एक शक्ति छिपी हुई है इसलिए उसका बहाव नियम पूर्वक अपने अधीन किया जाए, ऐसा विचार कर उसने इस कार्य को अपने हाथ में लिया और उस पर बांध बनाए और जलाशय बंधवाए। उसने इन्जिनयर बनवाए और पानी उठाने के लिए पाहिए खड़े किये। फिर क्या था उस छोटे चश्मे ने जो कि शताब्दियों से पहाड़ के नीचे निरर्थक बह रहा था, एक महान् शक्ति धारण की। उससे अब कितनी ही आटा चक्की चलने लगी, बड़े बड़े गहिरे जलाशयों में पानी जमा करके लोगों को पहुंचाया जाने लगा और उसी के ज़ोर से बिजली की शक्ति भी पैदा की गई जिससे शहरों की गलियां और मकान रोशन हुए। इन सबका प्रधान कारण एक वही व्यक्ति था जिसने कुछ विचार करने का कार्य किया था। हज़ारों मनुष्यों ने यह जल-प्रपात देखा परन्तु कुछ न देखा। हाँ एक मन था जिसने वह धारा देखी और उसकी अव्यक्त शक्ति और उस शक्ति का प्रयाेग और कार्य देखा; उसने देखा कि शताब्दियों से एक बड़ी काम देनेवाली वस्तु निरर्थक पड़ी है और राह देख रही है कि मनुष्य मुझको जाने, उसके मनके चित्र ने उस वस्तु को उत्पन्न किया जिसका वह चित्र थी। इसी प्रकार मन भी सोते की भांति चलता रहता है और जीवन की पहाड़ी से नीचे उतरते हुए अपने आप को नष्ट कर रहा है और मन के स्वामी को पता नहीं है कि मैं किस शक्ति का स्वामी हू; परन्तु इतस्ततः कुछ स्त्री पुरुष सचेत हो रहे हैं और विचार करना प्रारम्भ कर रहे हैं। वे प्रश्न करते हैं, प्रकाश

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