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पृष्ठ:मानसिक शक्ति.djvu/२९

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बाह्यक्षेत्र पर विचार का प्रभाव।
 


"कि देखो उस काम में जो तुम करते रहे, आपको कितने अच्छे अच्छे अवसर प्राप्त होते रहे जहां आप अपनी शक्ति और योग्यता को दिखला सकते थे। यह बाह्य क्षेत्र से सहानुभूति न रखने का कारण तुमको जीवन बाधा डालता है। काम को घृणा की दृष्टि से देखने, काम से हटाकर मन को दूसरी ओर लगाने, अपने साथ में काम करने वालों को कुदृष्टि से देखने से तो यही अच्छा है कि आत्म-निरीक्षण करो, प्रतिदिन ध्यान करो इस अभिप्राय से कि तुमको मालूम हो जावे कि वही काम जिससे घृणा थी, कैसा अच्छा है।" उसने मेरी शिक्षा को ग्रहण कर लिया और उसी के अनुसार चलने लगा। थोड़े ही समय के बाद परिणाम बड़ा विचित्र निकला। शुभ दिन उदय हुआ जिस कार्य से पहिले वह बड़ी घृणा किया करता था अब उसी से उसे आनन्द मिलने लगा। उसकी परस्थिती जादू के असर को भांति बदल गई और मित्रा में बहुत उम्दगी दिखाई देने लगी जो पहले स्वप्न में भी नहीं दीखती थी। लाभदायक अवसर उसे दिखलाई देने लगा। इसलिए अब उसे जिस वस्तु को जरूरत होती थी, मिल जाती थी। उसने अपनी अन्तरात्मा बदल दो तो देखो उसका बाह्यक्षेत्र उसके अनुसार हो गया। उसने इस बार लिखा कि मैं बिलकुल ही बदल गया और अब मुझे उसी क्षेत्र में प्रसन्नता, हर्ष और सुन्दरता दिखलाई देने लगी जिसमें पहले कष्ट, दुख और आपत्ति जान पड़ती थी यह सब अन्तरंग के बदलने से हुआ अन्य किसी से नहीं।

इस बात पर विश्वास रक्खो कि यदि हम वर्तमान

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