पृष्ठ:मानसिक शक्ति.djvu/३१

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६––पारस पथरी।

प्राचीन समय से मनुष्यों का यह विश्वास हो रहा है कि संसार में एक ऐसी वस्तु है कि जिसके प्राप्त हो जाने से मनुष्य लोहे को सोना बना सकता है और अपने अनैच्छुक और अप्रिय पदार्थों को जादू से सुख और सफलता के रूप में बदल सकता है। बहुत से स्त्री पुरुषों ने इसके अनुसन्धान में अपने जीवन तक को न्योछावर कर दिया है। बहुतों ने यह भी कह दिया है कि भेद हमको मिल गया है। और यहां देखो, वहां देखो इत्यादि वाक्यों को सुनकर बहुत से मनुष्यों ने पाने की आशा से उनका पीछा किया; परन्तु अन्त में जब खाली हाथ लौटना पड़ा तो बड़े ही हताश हुए। और उनका दिल एकदम गिर गया उन्होंने इसको किसी मनचले की गद्द समझ कर पता लगाना छोड़ दिया और यह सोच लिया कि पारस पथरी कोई वस्तु नहीं है। सबसे बड़ी भूल इसमें यह हुई है कि लोगों ने पारसपथरी को कोई बाह्य पदार्थ समझ लिया उनका ख़्याल था कि यह कोई स्थूल पदार्थ होगा जिसको हम देख सकते हैं, स्पर्श कर सकते हैं और अपने साथ ले तो

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