जा सकता है। किसी किसी ने यह समझा कि यह कोई शक्ति है जिसके साथ मनुष्य का हृदय या मन संयुक्त होने को आवश्यकता है। यों तो मनुष्य किसी बात की खोज करे तो वह ऐसे मनुष्य अवश्य पाएगा जो कि उसकी इच्छा को पूरा करने के लिए तत्पर होंगे। जैसे गवांर लोगों को जादूगर बहकाकर यह कह देते हैं कि यदि तुम इतना सोना लादो तो हम तुमको सोना बनाने की तरकीब बता दें। उन भोले मनुष्यों की समझ में यह नहीं आता कि यदि यह सोना बना सकता है तो हमारे सोने की इच्छा क्यों करता है। ऐसे ही मनुष्य धर्म गुरु बन करके लोगों को ठगा करते हैं, उनको स्वयं रास्ते का पता नहीं, दूसरों को क्या बतावैंगे।
पारस पथरी ही एक ऐसी चीज़ है जो लोहे का सोना बना सकती है; परंतु वह अपने में ही है किसी बाहरी पदार्थ में नहीं। विचार-शक्ति के बाबत कई बार लिखा जा चुका है; परंतु फिर भी हमें यही मालूम होता है कि हमने अभी तक उसके बावत कुछ भी नहीं लिखा है और न हमने इस अद्भुत विषय के ऊपर बड़े जोर शोर से कुछ भी विवेचन किया है जब हम देखते हैं कि यह अद्भुत शक्ति सबके पास है, परंतु इसके अस्तित्व का हमको बिल्कुल भी ज्ञान नहीं। हम बार बार बतलाना चाहते हैं और आवश्यकता पड़ने पर यह भी कह देना चाहते हैं कि अब तुम इस विनश्वर संसार में उसको तलाश करना छोड़ दो और जान लो कि वह वस्तु जिसकी कि तुम खोज में हो, पहले से ही तुम्हारे पास मौजूद है। वह तुम्हारी विचार शक्ति में है। "जैसा मनुष्य विचारता है वैसा ही हो जाता है।"
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