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पृष्ठ:मानसिक शक्ति.djvu/४०

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मानसिक शक्ति।
 

जेम्स एलन का कथन है कि विचार का फल तो कार्य है; परंतु सुख दुख उसके फल हैं। अतः अपने ही खेत के सुख दुख रूपी भले और बुरे फलों को मनुष्य बटोरता है।

विचार क्षेत्र में कारण और कार्य का नियम ऐसे ही अटल है जैसे कि बाह्य क्षेत्र के संसार में। जिस प्रकार संसार में प्रत्येक वस्तु के साथ कार्य कारण भाव लगा हुआ है उसी प्रकार हमारे विचारों के साथ भी लगा हुआ है।

मनुष्य अपना निर्माता है। उसका विचार उन यन्त्रों को अपने शस्त्रालय में गढ़ता है जो उसका नाश करते हैं। उसी कार्यालय में वह ऐसे यन्त्र बना सकता है जिससे स्वर्गीय सुख शान्ति तथा अन्य शक्तियां प्राप्त हों।

आत्मा के विषय में जो अच्छी अच्छी बातें इस समय में प्रगट हुई हैं उनमें से सब से उत्तम सुख को देनेवाली इसके सिवाए कोई नहीं है कि मनुष्य अपने विचारों का स्वामी है, अपने चरित्र का निर्माता है, और अपनी स्थिति, अपने बाह्य क्षेत्र और अपने भाग्य का कर्त्ता है।

तब यह बात बहुत ही आवश्यक है कि हमको अपनी विचार शक्ति का ज्ञान होना चाहिए हमें धिक्कार है यदि हम अपनी विचार शक्ति को स्वार्थसाधन में लगाएँ। इसमें सन्देह नहीं यदि हम अपनी विचार-शक्ति को पूर्णरूप से स्वार्थ सिद्धि में लगा देंगे तो उससे हमारी इच्छाएँ पूर्ण हो जायगी परंतु इस बात का हमें बहुत ध्यान रखना चाहिये कि हमारी इच्छित वस्तु जब मिले तो हमें लाभदायक हो तथा आगामी हामि का डर न रहे।

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