पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद १.pdf/२१३

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युगुलकिशोर मिः । ब्रझराज) समुदाक्ष । मैली प्रभर ॐ धरै जित नृढ़न निकै फेल्यों , सरसी-द्धि त दुई दल, न यार इ क्ष्य हैं । अशरफ ॐ ॐ ॐ चिकै थईि तू हमें में तिहरे हैं, ऊ इर्स के सही होऊ इह से क्लबछः ऋख गौ करें ।

अधदाल *क । वर्तमान

मटू मिस्ट अस्छ नैद-मंदिर कुबिंद अ, | ६ झिरो नाम धाम अस-पूर कौ; किं । अरह. अत है दूर । झू-मई-बु रू घटङ दुवैः ।, | मंद भय स्वर हरचंदन-यूर : ॐ । थहरन : हागे कुल कुंब्द्ध झ२ हैं, कुकुर छयौ रू? मुकुट मयुर की है। | अयशंकर प्रसाद ( वर्तमान) मान्स कार के तट पर क्यो ढोख वदर की घश्तें १ . अज-छि ले कहत कुछ किस्मृत बैदी बातें ? इन उदाहरव्या में जान पडेगा के कुसुवन शेड्स { संवत् ११६० } ॐ समय लक्क प्रायः कोई भाइ हिंदी में पृरूपेण स्थिर नहीं हुई यी ; कोई किंझी भारत में काव्य श्रदर था, कोई किसी में । आदि में हिंदी शङ्कल से कुछ भिक्षी-जुलती थी, परंतु पीछे उसमें अवधी सपी की प्राधान्य-मई रही । द माध्यमिक काल ( संबद १५६१ ) से इजभाषा कद यह विशेषता बढ़ा, परतु फिर भी तुलसीदास ने