पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद १.pdf/२६१

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कुशु के इम सी as ॐ थार में ! ॐ प्रश्न श्रम तय । अाहू ल बाँच्च दबद ॐ भक्रि. ॐ ई स हि अंश । छत्तु भा छ ऊ ऋ निडल रसिंह पड़गढ़ यो । | इस अदि में इन्द्र १११६ में मंथन-यात्रः-* * प्रेमइन रिटर्बः, जिसमें मझ ॐ ॐ ४ का २ ६ 3 इक्क नकद जहाँ भाषा में मिलतः ३ र इसके छन्दः * छंदवाई लुछ हैं । सुई का रस लंच दिवा ! थाई मुछ् १ अउर इन्ददृश्य ! यह पदर सावरा मस्सार नरम-६ ४३ } इन निदिधारी टूि लरही है.