पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/१४७

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भुषग्य-काल ] पूर्णलंकृत प्रक्रए । | (घना-कार--१७५५ ।। मरा–नरवर निवासी । पिता का नाम या भइ । l का नाम मेहनलाल । नाम-(५२६) चारणदास । अन्ध-५१) नेहप्रकाशिका (१७४२), (३) बिहारी सतसई की ठीका। चिनाकाल—४२ । नाम--(५ ३०) दीपचन्द ।। अन्ध–१) परमात्मापुराग, (२) चिद्रलास, () ज्ञानदर्पण (३७५०) ।। रचनाकाल-sli] नाम--(५३) बलिरमशी। ग्रन्थ- एफुट पद रचनाकाल--१५E के लगभग । नाम-(५३) श्रीनिवास ! झन्प--(१) ससागर, (२) सद्गुरुगदिमा ( १६६ पई), (३) माधुरीमकाया (६२ पद)। १चना यल--१७५० ।। विवरण–पूर में देखे । पारम्प थे । ।निम्बार्फ सम्प्रदाय के ।