पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/२०२

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मिश्रन्धुविन्द । । [म० १७११ नाम-(६२६) प्रानाथ त्रिवेदी । प्रन्य–कदिकचरित्र । कविताकाल-६७६५ । नाम-(६२७) मारण भूपाल पाले । अन्ध–सिफविलास । जन्मकाल-१७४७ ।। कविताफाल–३६५ । विचरण में गुजाडलशाहू राजगह के यहां से । परि । नर्मि–१६ २६) बंसाघर कायस्थ । अन्य दस्तूर मालिका । ( ३४ पृष्ठ) कविताकाल–१६५। विवरण–दिसाय की रीति । ना-(६३६) रतन ! प्रन्य—() सिमंजरी, (२) बुदिसानुचिचार, (३) चूकविवेक, (४) हे, (५) चिप्प द, (६) अलंकारदर्पण । जन्मका–१७३८] कवितकालं–१०६५। विदर---साधारण थे यो । सभाशाह पन्ना-नरेश के यहाँ धे। साज से विदित ईता है कि उड़ा के दीवान हिन्दुस ६ इनके अर्भयदाता थे।