पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/२१४

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३३२ [५० ११८ मिय-धुमिनार । (६ ४६) सीतल । ये भाशय स्वामी हरिदास घाली टट्टी सम्प्रदाय के एक प्रसिद्ध मद्दत धे। इनका रामय १७८० * य नग निकै सम्प्रदाय के मद्दन्त घतलाते हैं । एडित नन्दरि जी मिश्च { हेम्ररक्षि) गैधाली वाले हमारे भाई हाते थे। उनका जन्म सं० १४८८७ में इमा थी । घे फद्दते थे कि उन्हें नि सीतल की कविता सुनी थी और यह भी सुना था कि ये प्राचीन कवि हैं। इससे भी बम पड़ता है कि इनका कविता-काल मार्बान ।। इनके विषय में यह किंयन्ती कहाँ कहाँ सुन पड़ती है कि ये जिला इराई पहाधाद के सभेप किसी ग्राम के निवाही ब्राय थे और लालत्रिद्वारी नामक किसी दडफे पर मासक्तधै । हमारे पास इनका ठीन हिस्सा "गुलजार चमन इपा हुम्रा प्रस्तुत हैं। जिसने २५७ छन्द हैं पर इनके कुछ स्फुट छुद भी हमारे पास ६ । सुन पड़ना था कि सीतल ने इल्ली प्रकार के चार चमन खनाचे थे। गुलआर चमन के पढ़ने से विदित हैती है कि सीतल का लापारी नाम, दालक पर असिफ ना ममूलक है, क्योंकि इन्ने छालाबहारी के नाम से ईश्वर का पर्शन किया है, जैसा कि मिस लिखित छन्दों से प्रकट हुँता है:- मेरे तर यीच समाय रहे थे चिन्द अहिल्या तारी थे। , दुख इन फ्लुप के नास फेरन यारिज पद लाठविद्दारी के ।।