पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/२१८

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| १५ । धिनिः । [१ १९८० पी बी १६ । । । । ३ वीर - म अनि ना ६, पनि राष्ट्र का बार राई ग Fr वा पत्र प्रhi अ६ एएम भूपा, दमा दिदि में मेरा एक पैरे र ६ । ग पट्टी में पाया जितने यियों ने मनाय नी , १ इन चना में काम पाहाय मा ६ । जो प्राण धनी बसि र म; २ अरैन बने हैं । इसमें इरा गाना मा है। अपनी इन। मगर । रमना इत्र पर, आपना दुगम अगमैच छीड़ देना चाहिए | पति पद ६ चिः उत्तम पाँच किमी भी भाग में अनादन कविता र नपा ६ बम साम्ने स्रि माग्न एप पि पिय पी पयलंयन अपक्ष्याः नहीं। पीनर री कविता में वाद-प्रिय हैं। साल है। इन मदा- राध की रचना वनं रंदै जान पड़ता है कि में भाग १: यिन घाने के अतिरिक्त कारमा नया मंत्र के भी पूर्णताशा धे और ज्योतिप का भी न्यास ने ये । इन्दै धही दी उडती हुई मार्ग में रहना की है और उर्दू के पापों की भांति धई बड़े तुलाज़िमें पध हैं । इनषी रचना में हर पान पर लाददारी में वरीय मात्र म्यापन से ईयर में कुछ लपूना आ मुक्त है, परन्तु कष्ट पपना मै दोकी अर्घ है। अयश्य पाता है। इनकी रचना में स्वच्छन्द उमंग, उपमा, कपर्क और अनूटेपन की पूय यद्दार और यालात की पलन्द्र पराप्ती तथा घाफिया अच्छी ६1. इन गणना इम पद्माकर की ध्र में करते हैं। कुछ द नीचें। उधृत किये जाते हैं:-