पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/३२३

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मिधुमिना ! पास में बीजापुर पार लाइ । दाइप का एक ही ' [A: १६ में पप्पन किया हैं । ये लड़ाइयां संयन् १७४५ में एंथों TTE पर्यन की उन्होंने वहा की भांति लिखा है। सरेराज में भी । गैलर की रिहाई में उपस्थित हाना हा गया है । ६ संवत् १७५० में उन्हों ने घायधूयिनेद बनाया । इन पाते। दमने अनुमान किया था कि उनका जन्म संवत् १७१० है । भुग हुमा गा, क्योंविः चाळीस पंताढीस पर्प यी अव धम का कपि ऐसा राजमान्य मनु मुश्किल है देर त है कि बादशों की लड़ाइयों में उनकी सेना के साथ जा, मौल पर ले जाया जाये। फिर कालिदास पैसे घड़ियों कांच भी न धे किं पहुत ध देसी कथित्य शक्ति, समादित कर लेने कि थोड़ी अयस्या में उत्कृष्ट फघिता वरने लगते । कवीन्द्र ने दी के राव राजा बुद्धसिंह की प्रशंसा के छन्द कहे हैं। शुदसिंह ने संसद १७६३ से संयत् १७९२ ते राज्य किया था, सो इस समय में उनकी प्रशंसा के छन्द घने इंगे | यदि कन्दु का जन्म-काल संवत् १३७ माने, - फाई धापत्ति नहीं है, क्योंकि इन के जन्मकाल में इन के पिता की थयथा २७ वर्ष की पढ़ती है परराव बुद्धसिंह के कयत्त चनाने समय कपीन्द्र जी की पचग ४० घर्ष की निकलती है। इसी मय में हुई का जन्म-काज मान सकने । अवः अनुमान से लद्द का जन्म-काल संशत् १७३७ माता है । यह सब अनुमानही बुमान अवश्य है, परन्तु यह पैसा अनुमान नहीं है कि जिस में , ० वर्ष से अधिक की मूल हो। किसी उषत प्रमाय के अभाव में • अनुमान करने ही पड़ते हैं।