पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/३३१

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१५५ मिश्रधुदिनः । । [६० १६६ ( ७४२) भगवंतराय खींची 1 [प असेपर जिला फतेहपुर के एक प्रसिद्ध राजा एवं सुशार थे । इनका घमा प्रेम म ने नहीं देखा । सज्ञ में इनके विपय में लिखा है कि "साता कांद रामायण कच्चि में मज़ा अदु: भुत रचना वा फचिवाई के साथ घना है।" में इनके रचित हनुमान जी के ५० फुट छंद मिले हैं। शायद ये इसी रामापण के ६। स्रज्ञ में इन का समय १८०६ दिया है, और इनका पफर्म हनुमत्पचीसी रिहा है, जिस का संवत् १८१७ कहा गया है। ये महाशय यायियों के कल्पवृक्ष थे। संक। कवियों ने इनकी असा फी है, जिन में एक ने इनहे मृत्यु पर यह भी फा ६ कि ‘भूप भगवन्त सुर लेाक मा सिधारी आजु आलु कवि गन के कळप तक दूरि ।' इनकी कायना इष्ट, सानुमास और जोर दर दाती थी । म न प य झाँच की श्रेणी में समझते हैं। सुस भरिपूरिक दुञ्जन के दूर करें | जीवन समूरि लेा सायम सुधार की । चिंता में फैश चिंग्राम सो चिराने । फामा फेर फामनु मुभा सद्भुत सुमार की । ने भगवंत सुध व जै िर वैट सादेवी समृद्धि वैर पर इदार फ। जन मन इंजनी ६ गजनो चिंथा की मयभंजनी नज़रि भजन के दौर की ॥