पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/३५५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

१६३ मिंलविनेद। ज्ञन्नकाल–१६६ ।। रचनाकाल-१८१० नाम-(८५२) यमागे महान । जन्मका–६७८० । बिनाकाल-८१६ ।। नाम--८५३) हरि कवि । पन्थ-(१) नमत्कारचंद्रिका, (२) कविाग्रामर, (६) अगर केाष भाप । रचनाकाल-१८३० । पिवरण-साधार नै छ । नाम--(२५) हेम पिल। जन्मकाल---१७८० | चिनाद्ध-८११ ।। कि -साधारण थे । सत्ताईसवाँ अध्याय । सुम-काल ( १८६१ से १८३० सेक ! (८५.५) सृइन् । महादाय मधुर प्राण, महाराज पन्त ६ पुग्न धरा के निवासी थे। भरतपूर थे माझा धनसिंह के पुत्र सुशनसंह