पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/३९९

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मित्र -१ । । १० १८९ आप दान ६१ का दिन देवः । दि स्त्र । श६ मन में गुभ : Pार अड़ पम् । दाय शियन ३. करिा उचित उपाय। पुद्धिमान र मापदा न्टहरी पार गुरदीप ॥ ६ पद ए आय अरि ही है। जे मार। ६ शाम पद पर नियात उपचार ॥ यंघन पाटि सेड़यों की विधि याi६ घताय । ॐ ६ मैत्री पर है संप मिरिजाय ॥ ४ ॥ त भीम किंप का पद मंडला न ३प । | होजे घाण पिशाख गांगत अनुछ मय अटैच ॥ पिन अष्ट्र रौ रन । सने बिण दा इयि ।। इनै प्रगति दि इय पर धन के समुदाय ॥ सद्धि में फिरत भीग्रम में नुराध मन मान । | लाने काळ तद भूप अराम पर सामान । ‘स थर सय रथेन से तेहि समय नृप व मेर। एयः भवम सस स न जुरे हैं तद्द गर ! लये झै जछि फेरि' मा लौ ते १६ पैा। जान यह सब गुरोः भीम करत गाया घार । पष, एक इनसे यक ६क में मारे । | भीष्म ५। ६ दिए गणित द्विरद मद में शादि । मारतंड सम भी महिं सरिर २ सय ६६ तभ । माज़प हम तु दुसह सुर वैये सुर ॥