पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/४१४

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सूदनकाल ] इतर प्रकरण । इस समय के अन्य कविगण । नाम-(६८६) रसोधि । झन्ध–१ श्रा, २ हिँडेरा, ३ कवित्त, ४ अरि ए मांझ, ५ यानी विष्णुपद (१८४७ के पूर्व), ६ की चिंता, रस- नधिसागर { १८१६ से पू), ८ राहुजारा (मैट्टेि, ९ घाट की संप्रच। कविनाकाद्ध-१८११ के पूर्व ।। विवरण के प्रायः ३००० वो इमने छर में बेचे । कविता | बहुत अच्छी हैं । ताप चैत । नाम-(८६.०) हरिदम माझा खाँदा । प्रन्य--१, मापा मगचच समूल एकादश स्कंध (१८१३), २ शान ( १८११), ३ मगवद्गीता भाषा, ४ भयाभूपए की की (१८३४ )। कविता-काल-१८११।। विघरा–जा अरिमर्दनसिंह इनके अभियावा थे। नाम (८६१) जयसिंद राय राय फायस्थ प्राध्या। ग्रन्थ-सतसई पृष्ठ ५८। कश्तिा -कल–१८१६।। माम–८६३) रामदास ।

  • न्थ--३ थर्ग, ३ अर्थात्वतार, ३ गर्भनिश्वनी ।

कविता-काल-१८१२ नै १८५५ त्तक ।