पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/४२६

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सूदनकाल ] पुतलंकृत प्रकरण । t३६ 'काम--(६४६) प्रेमनाथ फ्लुया नारी ! अन्य--प्रोत्तर पद | कविताफा–१८२३ । विवरण- माया । नाम-(६५०) रससि रामनाराप पूर। प्र –१) कत्ति जनालिका संघ, (२) फुटकर मापा । कविताका-६८२७ ।। विवरण---यह संग्रह मेन्थ इन महाराजा सवाई प्रतापसिंह जी के दीवान सि जीवराज के थिय में बनाया, जिसमें माचीन कवि ८०१ अंदर स्वयम् इनके १०८ छंद ६। कविता इनफी साधारण शो की हैं। नाम-(६५१) चन्द्र धचि सगळ्यादै । प्रन्थ-पन्द्रप्रकाश। कवितापाल–२८ । घबर-पिता का नाम हीरानंद था। नाम-(६५२) सिंद! अन्ध–प्रशापट्टी। कविताकाल-१८२८॥ नाम-(६५३) नारायणदास । कुछ दिन चिनकूट में रहे। ग्रन्थ-(१) छंवसार (१८२९) (८) भापाभूपय की ठीका (३) ६, पिंगल मात्र । कविताकाल—१८२६ ।