पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/४२७

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निबन्नाद् । [ १० १८२५ वियर—नि धेशी । नाम (६५४) मानरिए । इन्–(१) नुमान नग्नशिप, (२) हनुमानपचाखा, (३) हनुमान पंचक, (४) लमनग्नतक, (५) महापौरपची, (६) नरसिंह चरित्र, (७) नरसिंहपचीसी, (८) नीतिनिघान ।। कविताका१८२६ । नाम-(६५५) अनूपदास । जन्मफाल–१८०१।। छयिताकोद्ध–१८३०। विवरण---तरस के उत्तम छंद बनाये हैं। साधारण थे । सज्ञिकार ने संयत् १७९४६ क र अनूप फा नाम |लखा है, परन्तु जान पड़ता है कि ये देने पक ही हैं। नमि--(६५६) केसरीसिंद। अन्य-केसरीसिंदी की कंटाळया। पविताफाले–१८३० । नार्म (E५७) जीयनीय भाट नवाबगंज इभाछ । अन्धु–ससंठपचीसी । जन्मकाद्ध-१८०३।। कविताफाश-१८३८ वियरप-बालकृष्णराय दीवान अयप के कप ६। साधार यी। | नार्म–(६५८) नाय ।