पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/४५४

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घडझंकृत गरण ।। पाना महासिंह के परोसा टाल राय जू के सुन ते निहाल की भत भगवान दा ६ नाती ती धरमदास जू कै फघि नन्दन की भैने दाष्य सेवक फाऊँ फयि थान हैं। साहेव मेहेरबान दान भी दडैल जू है। ग्रन्थ बरनन करीं बिविध विधान ६ } समत अठारह से जहाँ अवृतालीस विचार। ग्र पक्ष शमी मुतिथि माघ मास शुसार ॥ दानि इलैलास पर् तच लन्द दातार। मुद मगल कन्ज्याननस रच्यो ग्रन्थ तुझसार । इससे विचित्र होता है कि थानाम है व्रपितमिह छाय, पितामह महासंह, पिता निहाळ राय, मात्र मिह धरमदास, मामा चन्दन कवि, चौर, गुरु सेवक थे । ये महाशय या वैरे में रहते थे । यह ग्राम बैसवारा जिला रायबरेली में एक प्रसिद्ध स्थान हैं। यइ राना बैनीमाधव का बसियान था। थान कब ने अपना फुल नहीं लिखा और न इनके फुल का हाल शिवसिंह सीज़ से विदित्व होता है, क्योंकि इस ग्रन्थ में थान कवि का नामही भदों लिया है। शिवसई की नै धान के मामा चन्दन के भाट लिया है। इससे विदित देसा है कि ये भी भाट थे। थान- राम के जन्म-मरण आदि का सेवन ज्ञात नहीं है। थानराम ने वळसिंह मैं के माम पर अपना अन्य घनाया 1 तेल के पिता जयसिंह, पितामह महासिंह, और