पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/४७

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नील ] ब्लैट्स क्रए । हाय सुथाधर नादि यह पढ्न सुधाधर अपि । हम इन्हें दस फी भी में रखते हैं। नाम–१२६६) नीलकंठ त्रिपाठी उपनाम जटाशङ्कर, भूपर्छ के भाई। ग्रन्ध–मिरेशाविलास ( १६९८ )। कविताफल-१६९८ । चियर–इन्होंने जमक्ष पूर्ण उत्तम वविता की हैं। हमें इन्हें तैय की नंगीमें रखें। अपने भाइरों में ये सच से थे। उदादरी । तन पर भारतीन लुन गर, भारतीन सन पर भारतीन तन पर भीर हैं। पू देवदार तीन पू' देवदार हो। ॐ देवदर तन पूजे वेचदार हैं। नीलकं दामन दलैल स्त्री तिही धाक माकत न हार से मैं नाकत पहार हैं । धिरेन कर गई चारै म संग रहे मार झुटे बाद छुटे मार छुटे पार ६ ॥ (३६७) चुन । ये केाई मुसल्मान जाति की स्त्री य । इनके वंश, मान इत्यादि फा केाई, कि ठीक पता नहीं लगा। कवि गोविन्द गला भाई के । यही इनके चैक छन्। विद्यमान हैं, पर इनके विषय में कुछ हॉल उनके। गी नहीं मालूम है । शिवसंस/ज में इनका संवत्