पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/५०५

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११६ मिन्धुदि। [सं० १८९५ मुकुर ती पर दीपति के धनी । सरल क्लवत र थिथा घनी ।। अपर ना उपमा म ६ ६ । वष प्रिय मुम्री सम है ॥ (१११६} ब्रह्मदत्त ब्राह्मण । ये महाशय काशीनश उदितनारायणसिह ६ अनुज्ञ दीप नारायण के आर्थित थे। इन्होने सवत् १८६० में दिसि भार १८६५ में दीपमान नामपर अन्य यनायै । दीपप्रकाश छप चुका ६। यह विपनया अल फार-प्रन्थ है, पर ग्रादि में भाग व रस का भी इसमें वर्णन है। इनकी चिंता अनुयायुक्त अच्छी हैाप्ती था । इनके इम साधारण बैंगा में रहेंगे ! कुसल फलानि में करन र रति के | कवि दिन फी पल्पतरसर है। सट सनमान बुधि निंघा का नाम अझ मतिमन हुसन की मानेसरवर है । दीप नारायन अयचीप अनुज प्यारा । दीन दृन्न दैत रन रियर है। गाहक गुनी के निरसाफ दुनी की नीको गर्नी मञ्ज बकस गरीव परघर है । (११३०) माखन पाठक । ये महाशय पट्टी टनगर निवासी थे। इन्होंने सपत् १८६० में पसन्म जरी नामक एक भय झन्थ घनाया, जिसमें है ही में सम्पूर्ण नारथा नायक भेद, दशर, मूर्ती इत्यादि हे बियर ! इन्होंने