पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/५३५

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म. १८९५ | मिश्रबन्धुमिनार यिता करड–१८६६। निव-रीति-ग्रन्थे । नाम--(११८१) हितगुदाललाट (ज्ञयासी) । अन्ध-न्यो । कपिताल-१८६७ के पूर्ष । | चिघर—ये दिग्दरिबंश शी के सम्प्रदाय के थे। नाम-(११८२) अमृतम सानु निरंजनी ! प्रेष—माजी नफल । कविताकलि–१८६७। विर–राभपूतानी भाषा । नाम (१ १६३) चैनदास । Ru—गीतानाधजी। कचिताकास–१८६७ । विचरण–राजपूतानी भापा ! माम--(११८४) दौलतराम । ग्रंथ (१} जलधरज्ञारोरा, (३) परिचयमका । कवितषिय--१८६) । विदर–राजपूतानी भाषा के कवि है। नाभ--(११८५) पहलाद बन्ज न, अपना । कविताफळ-१८६७ ।

वियर---राज्ञा जगतसिंह के ग्र थे।